महर्षि कनाद परमाणु सिद्धांत के जनक माने जाते हैं।
महर्षि कणाद को परमाणु सिद्धांत का जनक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि आज से वे 2600 वर्ष पहले हुए थे। उन्होंने ने ही सर्वप्रथम अणुविक् सिद्धांत का प्रतिपादन किया था, महर्षि कणाद ने ही दुनिया सबसे पहले ये बतलाया की सभी द्रब्य सूक्ष्म अतिसूक्ष्म कणों से बने है , उन्हीं सूक्ष्म कणों को अणु कहते हैं। जिसे अँग्रेजी मे Atom कहते हैं।
बचपन मे कणाद ऋषि का नाम कश्यप था परन्तु कण अर्थात् परमाणु तत्व का सूक्ष्म विचार इन्होंने किया है, इसलिए इन्हें “कणाद” कहते हैं।
परमाणु सिद्धांत के जनक कणाद के जन्म के बारे में स्पष्ट ज्ञान नहीं है। उन्होंने अपने गहन चिंतन व अनुसंधान के बाद बतलाया था कि पदार्थ सूक्ष्म कणों से बना है, जो अविभाज्य हैं। उनके अनुसार, यदि पदार्थ को बार-बार विभाजित किया जाए तो एक स्थिति ऐसी आएगी, जब वह आगे विभाजित नहीं होगा। वह सूक्ष्म कण परमाणु कहलाता है। उन्होंने यह भी बताया था कि परमाणु स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते हैं और उन्हें नष्ट भी नहीं किया जा सकता है। अलग-अलग पदार्थों के परमाणु भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। पृथ्वी (मिट्टी), जल, वायु के परमाणु अलग-अलग प्रकार के होते हैं।
भौतिक जगत की उत्पत्ति सूक्ष्मातिसूक्ष्म कण परमाणुओं के संघनन से होती है- इस सिद्धांत के जनक महर्षि कणाद थे।
उन्होंने अपने गहन चिंतन व अनुसंधान के बाद बतलाया था कि पदार्थ सूक्ष्म कणों से बना है, जो अविभाज्य हैं। उनके अनुसार, यदि पदार्थ को बार-बार विभाजित किया जाए तो एक स्थिति ऐसी आएगी, जब वह आगे विभाजित नहीं होगा। वह सूक्ष्म कण परमाणु कहलाता है। उन्होंने यह भी बताया था कि परमाणु स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकते हैं और उन्हें नष्ट भी नहीं किया जा सकता है। अलग-अलग पदार्थों के परमाणु भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। पृथ्वी (मिट्टी), जल, वायु के परमाणु अलग-अलग प्रकार के होते हैं।
लखनऊ. नासा के सीनियर साइंटिस्ट प्रो. ओम प्रकाश पाठक ने दावा किया है कि यजुर्वेद के 17वें अध्याय में एक मंत्र है जिसमें एक संख्या पर 27 शून्य का उल्लेख मिलता है। यानी वेद ने आर्यभटट् से पहले शून्य की जानकारी दी। इसी तर गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत आधुनिक विज्ञान के हिसाब से न्यूटन ने बताया लेकिन ऐसा नहीं है। गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत सवर्प्रथम कणाद ऋषि ने दिया था। लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिर्विज्ञान विभाग की ओर से ‘वेदों में ज्योतिष तथा विज्ञान के संदर्भ’ विषय पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
साइंटिस्ट प्रो. ओम प्रकाश पाठक बोले- ‘कहा जाता है कि विश्व को शून्य महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने दिया है। लेकिन यजुर्वेद के 17वें अध्याय में एक मंत्र है जिसमें एक संख्या पर 27 शून्य का उल्लेख है। इसलिए आर्यभट्ट से पहले यजुर्वेद ने शून्य बताया था। वहीं ग्रैविटी का सिद्धांत न्यूटन का कहा जाता है जबकि न्यूटन से पहले कणाद ऋषि ने दिया था।’ इस मौके पर कला संकाय के डीन प्रो. पीसी मिश्रा ने कहा कि वेदों में हर चीज मौजूद है, इसलिए विवि में वैदिक शोध होना चाहिए। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रो. मदन मोहन पाठक ने कहा कि ज्योतिष का विषय सभी विद्यालयों में होना चाहिए। कार्यक्रम में 150 शोधार्थियों ने भाग लिया और अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। यह तीन दिनों तक चलेगी, जिसका समापन शुक्रवार को होगा, जिसमें विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय शामिल होंगे।
उनके मुताबिक, एस्ट्ररोनॉमी और एस्ट्ररोलॉजी में लेश मात्र का अन्तर वह है कि एस्ट्ररोनॉमर पोजीशन, फंकशन और मूवमेन्ट को देखते है और एस्ट्ररोलॉजर उससे एक कदम आगे सोचता है उनके पोजीशन, फंकशन और मूवमेन्ट को देखता ही है साथ ही पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों जैसे मनुष्य, पशु, पक्षी और पेड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है ये भी देखता है।उन्होंने कहा कि शंकराचार्य ने कहा था कि ब्रहम सत्य है और जगत मिथ्या है। जो गिना जा सके, जो मापा जा सके और दिखाई पड़े, वह सत्य नहीं है। सत्य वह है जो गिना न जा सके, मापा न जा सके व दिखाई न पड़े, वही सत्य है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के शोध के जरिये सुना है कि सूर्य से एक प्रकार की ध्वनि निकलती है। हमारे वेदों में शतपथ ब्राहमण में लिखा है जो महा स्वर देता है वही सूर्य है।
वहीं लखनऊ विश्वविद्यालय कला संकाय के अधिष्ठाता प्रोफेसर पीसी मिश्र ने कहा कि वेदों में हर चीज का वर्णन है और विश्वविद्यालय में वैदिक शोध होना चाहिए। उन्होंने कहा भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है और आगे भी रहेगा। कार्यक्रम के मुख्यातिथि, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान में ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मदन मोहन पाठक ने कहा कि भारतीय संस्कृति वेदों में निहित है। संस्कृत का संरक्षण होना बहुत आवश्यक है। उन्होनें कहा कि ज्योतिष का विषय सभी विद्यालयों में होना चाहिए।
भोपाल मध्यप्रदेश के के एक रेलवे स्टेशन का नाम हाल ही बदलकर हबीबगंज से रानी…
वैसे तो महान गणितज्ञ रमानुजम् को कौन नहीं जनता जिन्हिने infinite ∞ यानी अनंत की खोज…
लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र अजेय दुर्ग, मिट्टी का यह किला तोपों पर पड़ा…
16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस। वो वीरांगना जिसने अकेले ही 36 अंग्रेजों को…
29 October 2021 को साउथ फिल्म जगत के महान एक्टर पुनीत राजकुमार (Appu) के देहांत…
आज जब सेना मे स्त्रियों की भागीदारी भी बढ़ रही है तब आपको बताना चाहूंगा…