Categories: General

Ramakrishna Dalmia ko kaise barbad kiya Pandit Neharu ne /रामकृष्ण डालमिया का करोपति से रोड़पति बनने की कहानी।

डालमिया ग्रुप को कैसे बर्बाद किया पंडित जवाहर लाल नेहरू ने!!

डालडा हिन्दुस्तान लिवर का देश का पहला वनस्पति घी था, जिसके मालिक थे स्वतन्त्र भारत के उस समय के सबसे धनी सेठ रामकृष्ण डालमिया

टाटा, बिड़ला और डालमिया ये तीन नाम बचपन से सुनते आए है। मगर डालमिया घराना अब न कही व्यापार में नजर आया और न ही कहीं इसका नाम सुनाई देता है। वास्तव में डालमिया जी ने स्वामी करपात्री जी महाराज के साथ मिलकर गौहत्या एवं हिंदू कोड बिल पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर नेहरू से कड़ी टक्कर ले ली थी।

डालमिया छोटे मोटे salesman से देश के सबसे बड़े व्यापारियों मे से एक बने।

जहां तक रामकृष्ण डालमिया का संबंध है, वे राजस्थान के एक कस्बा चिड़ावा में एक गरीब अग्रवाल घर में पैदा हुए थे और मामूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने मामा के पास कोलकाता चले गए थे।

वहां पर बुलियन मार्केट में एक Salesman के रूप में उन्होंने अपने व्यापारिक जीवन का शुरुआत किया था। भाग्य ने डटकर डालमिया का साथ दिया और कुछ ही वर्षों के बाद वे देश के सबसे बड़े उद्योगपति बन गए। 

डालमिया ने सभी तरह के ब्यापार मे हाथ डाला और उसे सफलता के बुलंदियो पे ले गये।

उनका औद्योगिक साम्राज्य देशभर में फैला हुआ था जिसमें समाचारपत्र, बैंक, बीमा कम्पनियां, विमानसेवाएं, सीमेंट, वस्त्र उद्योग, खाद्य पदार्थ आदि सैकड़ों उद्योग शामिल थे। 

डालमिया की दोस्ती सभी बड़े ब्यपरियों के अलावा नेहरू और जिन्ना के साथ भी थी। 

डालमिया सेठ के दोस्ताना रिश्ते देश के सभी बड़े-बड़े नेताओं से थी और वे उनकी खुले हाथ से आर्थिक सहायता किया करते थे। 

डालमिया के दोस्त नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना भी परन्तु डालमिया की दोस्ती नेहरू ज्यादा जिन्ना के साथ थी मोहम्मद अली जिन्ना अक्सर डालमिया के घर आते रहते थे, परंतु ये दोस्ती सिर्फ पैसों की इंवेस्टमेंट को लेकर होती थी ।

डालमिया की बेटी और ‘द सीक्रेट डायरी ऑफ़ कस्तूरबा’ की लेखिका नीलिमा डालमिया ने बताया, “जिन्ना सिर्फ पैसे और इनवेस्टमेंट की बातें करते थे मेरे पिता सेठ रामकृष्ण डालमिया के साथ. वे पैसे के पीर थे. दोनों में घनिष्ठ संबंध थे. जिन्ना का हमारे अकबर रोड और सिकंदरा रोड स्थित बंगलों में आना-जाना भी नियमित रूप से रहता था। 

दिल्ली हमेशा के लिए छोड़ने से एक दिन पहले डालमिया के सिकंदरा रोड वाले बंगले पर जिन्ना को खाने पर बुलाया गया, उनकी डेंटिस्ट बहन फातिमा जिन्ना भी आईं, रामकृष्ण डालमिया की पत्नी नंदिनी डालमिया भी मेज़बानी कर रही

 थीं।

पाकिस्तान जाने से पहले मोहम्मद अली जिन्ना डालमिया से मिले और अपना बंगला डालमिया को ढाई लाख मे बेंचा।

नीलिमा बताती हैं, “चूंकि अगले दिन जिन्ना जा रहे थे इसलिए माहौल में उदासी भी थी.”पाकिस्तान जाने से पहले जिन्ना ने अपना बंगला करीब ढाई लाख रुपए में डालमिया को बेचा था. हालाँकि दोनों दोस्त थे फिर भी जिन्ना ढाई लाख रुपये से कम पर अपने बंगले को बेचने के लिए तैयार नहीं हुए। 

रामकृष्ण डालमिया ने मोहम्मद अली जिन्ना का बंगला पहले गंगा जल से धुलवाय फिर गृह प्रवेश किये।

ख़रीदने के बाद डालमिया ने बंगले को गंगाजल से धुलवाया, जिन्ना के दिल्ली छोड़ते ही बंगले के ऊपर लगे मुस्लिम लीग के झंडे को उतारा गया, उसकी जगह गौरक्षा आंदोलन का झंडा लगवाया गया, यानी मुसलमानों के एकछत्र नेता के कट्टर हिन्दूवादी शख़्स से गहरी छनती थी।

एक घटना ने नेहरू को डालमिया का जानी दुश्मन बना दिया।

कहा जाता है कि डालमिया एक कट्टर सनातनी हिन्दू थे और उनके विख्यात हिन्दू संत  स्वामी करपात्री जी महाराज से घनिष्ट संबंध थे। करपात्री जी महाराज ने 1948 में एक राजनीतिक पार्टी ‘राम राज्य परिषद’ स्थापित की थी। 1952 के चुनाव में यह पार्टी लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी और उसने 18 सीटों पर विजय प्राप्त की।

हिन्दू कोड बिल और  गोवध पर प्रतिबंध लगाने के प्रश्न पर डालमिया से नेहरू की ठन गई। नेहरू हिन्दू कोड बिल पारित करवाना चाहता था, जबकि स्वामी करपात्री जी महाराज और डालमिया सेठ इसके खिलाफ थे।

स्वामी करपात्रीजी महाराज के साथ डालमिया ने मिलकर हिन्दू कोड बिल और गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के आंदोलन मे जुड़े और आर्थिक मदद भी की।

हिन्दू कोड बिल और गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए स्वामी करपात्रीजी महाराज ने देशव्यापी आंदोलन चलाया, जिसे डालमिया जी ने डटकर आर्थिक सहायता दी। नेहरू के दबाव पर लोकसभा में हिन्दू कोड बिल पारित हुआ, जिसमें हिन्दू महिलाओं के लिए तलाक की व्यवस्था की गई थी।

Dr. Rajendra Prasad भी हिंदू कोड बिल के खिलाफ़ थे।

कहा जाता है कि देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद हिन्दू कोड बिल के सख्त खिलाफ थे, इसलिए उन्होंने इसे स्वीकृति देने से इनकार कर दिया। ज़िद्दी नेहरू ने इसे अपना अपमान समझा और इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पुनः पारित करवाकर राष्ट्रपति के पास भिजवाया,संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति को इसकी स्वीकृति देनी पड़ी। 

इस घटना ने नेहरू को डालमिया का जानी दुश्मन बना दिया। नेहरू के इशारे पर डालमिया के खिलाफ कंपनियों में घोटाले के आरोपों को लोकसभा में जोरदार ढंग से उछाला गया। 

इन आरोपों के जांच के लिए एक विविन आयोग बना। बाद में यह मामला स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिसमेंट (जिसे आज सीबीआई कहा जाता है) को जांच के लिए सौंप दिया गया। नेहरू ने अपनी पूरी सरकार को डालमिया के खिलाफ लगा दिया। उन्हें हर सरकारी विभाग में प्रधानमंत्री के इशारे पर परेशान और प्रताड़ित करना शुरू किया। उन्हें अनेक बेबुनियाद मामलों में फंसाया गया।नेहरू की कोप दृष्टि ने एक लाख करोड़ के मालिक डालमिया को दिवालिया बनाकर रख दिया। उन्हें टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान लिवर और अनेक उद्योगों को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ा। अदालत में मुकदमा चला और डालमिया को तीन वर्ष कैद की सज़ा सुनाई गई। तबाह हाल और अपने समय के सबसे धनवान व्यक्ति डालमिया को नेहरू की वक्र दृष्टि के कारण जेल की कालकोठरी में दिन व्यतीत करने पड़े।

इन सब घटनाओ के बाद डालमिया कभी उभर ही नहीं पाये बाद मे सन 1964 तक डालमिया ने जिन्ना से ख़रीदे बंगले को अपने पास रखा और फिर नीदरलैंड सरकार को बेच दिया था, और तब से इसका इस्तेमाल नीदरलैंड के नई दिल्ली में राजदूत के आवास के रूप में हो रहा है। 

इस बंगले में 5 बेडरूम, विशाल ड्राइंग रूम, मीटिंग रूम और बार वगैरह हैं, आज इसकी क़ीमत सैकड़ों करोड़ रुपए आंकी जाती है। 

व्यक्तिगत जीवन में डालमिया बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उन्होंने अच्छे दिनों में करोड़ों रुपये धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए दान में दिये। 

इसके अतिरिक्त उन्होंने यह संकल्प भी लिया था कि जबतक इस देश में गोवध पर कानूनन प्रतिबंध नहीं, लगेगा वे अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। उन्होंने इस संकल्प को अंतिम सांस तक निभाया। गौवंश हत्या विरोध में 1978 में उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। 

नेहरू के जमाने मे भी 1 लाख करोड़ के मालिक डालमिया को साजिशों में फंसा के नेहरू ने कैसे बर्बाद कर दिया। इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिस व्यक्ति ने नेहरू के सामने सिर उठाया उसको नेहरू ने मिट्टी में मिला दिया। देशवासी प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी और सुभाष चन्द्र बोस जी भी  के साथ भी यही हुआ था, यहाँ तक की चंद्र शेखर आज़ाद की मुखबीरि करके मरवाने वाले भी नेहरू ही थे। 

रामकृष्ण डालमिया की तरह ही एक घटना उस वक्त के बड़े ब्यपारी टाटा के साथ भी हुई थी।

जब पंडित नेहरू ने 1953 मे टाटा से Tata Airline  को लूट लिया था।

जबरदस्ती जवाहरलाल नेहरू ने टाटा को उनकी टाटा एयरलाइंस जो बाद में  टाटा ने नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया था ,उसे भारत सरकार को देने को कहा और जब टाटा ने अपनी एयरलाइन देने से मना किया तब एक विधेयक लाकर टाटा से जहाज और स्टाफ और कंपनी यहां तक कि कंपनी के खाते में पड़ी समस्त रकम के साथ एयर इंडिया और टाटा एयरलाइंस को टाटा से छीन लिया गया यानी लूट लिया गया सिर्फ इसलिए ताकि सरकार के मंत्री लूट खसोट कर सकें। 

यह लूट और फिर बाद में इंदिरा गांधी द्वारा बैंकों का राष्ट्रीयकरण के बाद से पूरे विश्व में भारत बदनाम हो गया था, भारत में बिजनेस का माहौल नहीं है भारत में इन्वेस्टमेंट करने लायक नहीं हैं और फिर भारत एकदम से पिछड़ गया। 

सरकारी बद्इंतजामी और कमीशन लूट खसोट ने एयर इंडिया को अरबों रुपये के घाटे में ला दिया

कर्मचारियों को कई सालों से सैलरी नहीं मिल सकी कई जगह पर  इसकी इमारतें  बैंकों ने नीलाम कर दिया यहां तक कि कई बैंकों ने जहाज नीलाम करके अपने पैसे वसूले

अब 68 साल बाद टाटा ने अपनी ही लूटी हुई कम्पनी को सरकार से पैसे देकर वापिस ली है। बधाई रतन टाटा जी को।

Recent Posts

Rani Kamalapati- भोपाल की महारानी जिसके नाम पर भोपाल के एक रेलवे स्टेशन का नाम हबीबगंज से रानी कमलापति रखा गया।

भोपाल मध्यप्रदेश के के एक रेलवे स्टेशन का नाम हाल ही बदलकर हबीबगंज से रानी…

1 year ago

Why did the mathematician Ramanujan not have any close friends/ आख़िर क्यों महान गणितज्ञ रमानुजम् के कोई करीबी दोस्त नहीं था।

वैसे तो महान गणितज्ञ रमानुजम् को कौन नहीं जनता जिन्हिने infinite ∞ यानी अनंत की खोज…

1 year ago

Rishi Kanad was the father of atomic theory and propounded the theory of gravitation and motion before Newton in Hindi.

महर्षि कनाद परमाणु सिद्धांत के जनक माने जाते हैं। महर्षि कणाद को परमाणु सिद्धांत का…

1 year ago

Lohagarh Fort History in hindi /लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र अजेय दुर्ग।

लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र  अजेय दुर्ग, मिट्टी का यह किला तोपों पर पड़ा…

1 year ago

Uda Devi Pasi वो वीरांगना जिसने 36 अंग्रेजों को अकेले मारा/16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस।

16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस।  वो वीरांगना जिसने अकेले ही 36 अंग्रेजों को…

1 year ago

Biography Of South Film Actor Puneet Rajkumar in Hindi/पुनीत राजकुमा जीवन परिचय।

29 October 2021 को साउथ फिल्म जगत के महान एक्टर पुनीत राजकुमार (Appu) के देहांत…

2 years ago