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The real Story of Shantanu Naidu why Ratan Tata Support to Shantanu Naidu

कौन है शांतनु नायडू जिससे advise लिए बीना टाटा एंड संस के चेयरमैन रतन टाटा कुछ भी नहीं करते। 

शांतनु नायडू ये नाम आज के डेट में सोशल मीडिया पे छाया हुआ हॉट सेलिब्रिटी है , ये अभी 27  वर्ष के है फिर भी रतन टाटा के अच्छे दोस्त है और रतन टाटा के पर्सनल असिस्टेंट है। 

रतन टाटा के नज़र में कैसे आये शांतनु नायडू।

रतन टाटा का कुत्तों से प्रेम की कहानी सभी जानते है उन्होंने खुद कई बार अपने कुत्तों से प्रेम की दीवानगी का बताया है ,आप इसका अंदाज़ा इस ब्बत से लगा सकते है की टाटा ग्रुप के मुख्यालय टाटा हाउस में कुत्तों के लिए एक अलग से कमरा  बना हुआ है, शांतनु नायडू रतन टाटा के कुत्तों से प्रेम की प्रबृति के कारण ही मुलकात सम्भव हो पाया। 

ये बात 2014 की जब शांतनु नायडू Pune University से अपना ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग करके टाटा ग्रुप अलेक्सी के साथ जुड़े थे , तभी उनको रोड दुर्घटना में हो रही आवारा कुत्तों की लगातार मौत ने उन्हें इस बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया ,  तो उन्होंने आगे लोगो से बात की तो पता चला की रात के अँधेरे में ये एक्सीडेंट होते है , जो ड्राइवर के समय रहते कुत्तों को नहीं देख पाना सबसे बड़ा कारण था। चुकी शांतनु नायडू ऑटोमोबिल इंजीनियर थे इसलिए इनके दिमाग में कुत्तों के लिए चमकदार कॉलर बनाने आईडिया आया , उन्होंने रेडियम रिफ्लेक्टिव  मैटेरियल्स से ये कॉलर बनाया कुछ दोस्तों ने मदद की और ये एक छोटा स्टार्ट अप बन गया जिसका नाम था motopaws लोगो ने इस काम को खूब सराहा फिर पहली बार ये कहानी एक Facebook page Human of Bombay पोस्ट हुयी उसके , उसके बाद शांतनु नायडू की कहानी  टाटा की मैगज़ीन टाटा न्यूज़ लेटर में छपी। 

शांतनु नायडू की मुलाकात रतन टाटा से कैसे हुयी।

शांतनु नायडू के कुत्तों को चमकदार कॉलर पहनाने के आईडिया ने सभी को इम्प्रेस क्र दिया था, रतन टाटा को जब खबर लगी तो उन्होंने ने भी  शांतनु के काम को खूब सराहा, इस बात की खबर शांतनु के पिता को लगी तो उन्होंने शांतनु से रतन टाटा को पत्र लिखने कहाँ ,शांतनु पहले तो नहीं माने फिर पिता के कहने पर उन्होंने रतन टाटा को पत्र लिखा और उनसे मुलाकात की इक्षा ब्यक्त की , रतन टाटा ने भी उनके पत्र का जवाब दिया और शांतनु से मुलाकात की  और उनके स्टार्ट अप के लिए फण्ड भी दिए , और उन्होंने शांतनु से बोला की मेरे पास करने को बहुत काम है क्या तुम मेरी मदद करोगे शांतनु उत्साहित बहुत हुवे परन्तु शांतनु ने उनसे MBA के बाद ज्वाइन होने के लिए कहाँ , फिर शांतनु नायडू ने अमेरिका के कर्णनेल यूनिवर्सिटी से MBA किया और फिर बतौर डेपुटी जनरल मैनेजर (DGM ) पोस्ट पर टाटा ग्रुप में ज्वाइन हुवे फिर रतन टाटा के असिस्टेंट बने उनकी दोस्ती गहरी होती चली गई आज रतन टाटा शांतनु नायडू साथ हर समय देखे जा रहे है। 

सोशल  मीडिया पर शांतनु नायडू की खूब अफवाहे उडी।

रतन टाटा और शांतनु नायडू को लेकर सोशल मीडिया पर खूब अफवाहे उडी कुछ लोगो ने फसबबक पर कहाँ की शांतनु नायडू रतन टाटा के सिक्योरिटी गार्ड के बेटे है जिनका चयन IIT में हुआ फिर IIM से MBA किया फिर रतन टाटा ने सिक्योरिटी गार्ड के बेटे से खुश होकर टाटा ग्रुप में DGM बना दिया। 

ये कहानी सरासर गलत है , शांतनु नायडू के पिता समेत पांच पढिया टाटा ग्रुप में बतौर इंजीनियर टेक्निशन काम क्र चुकी है परन्तु एग्जीक्यूटिव पोस्ट पहली बार कोई आया है , और शांतनु नायडू IIT से नहीं पुणे यूनिवर्सिटी से ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की है , और IIM से MBA नहीं किया बल्कि अमेरिका के Cornell  university  की है। 

शांतनु नायडू ने अब खुद का स्टार्टअप शुरू कर लिया हैं।

 27 वर्षीय शांतनु नायडू अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से एमबीए धारक हैं और दो साल से टाटा समूह की कंपनियों के अध्यक्ष रतन टाटा की सहायता कर रहे हैं।  अब, उन्होंने अपना स्टार्टअप टॉक ‘ऑन योर स्पार्क्स’ शुरू किया है, जहां वे अपने द्वारा सीखे गए पाठों के आधार पर entrepreneurial कि शिक्षा  देते हैं।

ऑन योर स्पार्क” स्टार्टअपकि  सुरुवात कैसे हुई।

 पिछली साल शांतनु ने रतन टाटा के स्टार्टअप पिच डेक टेम्पलेट को अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर साझा किया, जिसे बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली।  दिलचस्प बात यह है कि उन्हें अपने 1 मिलियन फॉलोअर्स से इंस्टाग्राम पोल में 97% वोट मिले।  इस पर, टाटा ट्रस्ट्स से पूछा गया कि क्या वे चाहेंगे कि वह एक बुनियादी स्टार्टअप पिच डेक टेम्पलेट तैयार करें।

 पिछले सात महीनों से, टाटा के कार्यालय को हजारों प्रश्न और कॉल प्राप्त हो रहे हैं।  यह मुख्य रूप से युवा उद्यमियों की मदद के लिए है जो यह पूछते हैं कि उद्यमशीलता entrepreneurial के रास्ते में विचारों को कैसे लाया जाए।  इन सभी प्रश्नों के समाधान में रतन टाटा की मदद करते हुए, उनके दिमाग में आने वाले प्रश्नों के समाधान के बारे में एक विचार आया।  इस तरह “ऑन योर स्पार्क्स” की सुरुवात हुई।

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