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Bajirao Peshwa who never defeated in battle

जिस व्यक्ति ने अपनी आयु के 20 वे वर्ष में पेशवाई के सूत्र संभाले हो ,40 वर्ष  तक के कार्यकाल में 42 युद्ध लड़े हो और सभी जीते हो यानि जो सदा अपराजेय रहें हो,  और उस योध्दा को संजय लीला भंसाली ने 2015 मे आयी फिल्म बाजीराव मस्तानी मे सिर्फ एक बेपरवाह आशिक दिखाया है।

अमेरीका जैसे देश भी बाजीराव पेशवा की युद्ध नीति को नमन करता हैं।

जिनके  एक युद्ध को अमेरिका जैसा राष्ट्र अपने सैनिकों को पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ा रहा हो ,ऐसे ‘परमवीर’ को आप क्या कहेंगे,  आशिक या योद्धा,  परन्तु हमारे इतिहासकार सिर्फ मुग़लो को ही योध्दा बताते हैं, उन्हि का गुणगान करते आये हैं,  उन कायर मुग़लो पेशवा जैसे कितने योद्धाओं ने न जाने कितनी बार परास्त किया हैं। 

हमारे bollywood भी उन्ही इतिहासकारों के तर्ज़ पर फिल्मे बनाती हैं,  पेशवा जिसने 42 युद्ध लड़े ऑर सभी युद्ध जीते और सभी असम्भव युद्ध जीते ऐसे अपराजय योद्धा को बस एक बेपरवाह प्रेमी दिखाना कहाँ तक जायज़् हैं। 

आपको असली इतिहास पढाया ही नहीं गया आप असली महानायकों को जानते ही नहीं ऐसे ही एक महानायक थे ,18 अगस्त 1700 ई. में जन्मे महान पराक्रमी ब्राह्मण पेशवा का नाम है। 

  बाजीराव पेशवा जी 

जिनका इतिहास में कोई विस्तृत उल्लेख हमने नहीं पढ़ा ..।।

हम बस इतना जानते हैं कि 

संजय लीला भंसाली की झूठी बनावटी काल्पनिक  फिल्म है बाजीराव-मस्तानी 

अगर मुझे पहुँचने में देर हो गई तो इतिहास लिखेगा कि एक राजपूत_ने मदद मांगी और ब्राह्मणभोजन करता रहा “

ऐसा कहते हुए उन्होंने भोजन की थाली छोड़कर बाजीराव जी अपनी सेना के साथ राजा छत्रसाल जी की मदद को बिजली की गति से दौड़ पड़े थे..।।

धरती के महानतम योद्धाओं में से एक , अद्वितीय , अपराजेय और अनुपम योद्धा थे बाजीराव बल्लाल जी..।।

वीर  छत्रपति शिवाजी महाराज जी का सनातन हिन्दू स्वराज का सपना जिसे पूरा कर दिखाया  शूरवीर योद्धा बाजीराव बल्लाल भट्ट जी ने..।।

अटक से कटक तक , कन्याकुमारी से सागरमाथा तक केसरिया लहराने का और हिंदू स्वराज लाने के सपने को पूरा किया ब्राह्मण पेशवाओं ने ,खासकर पेशवा  बाजीराव प्रथम जी  ने ..।।

इतिहास में शुमार अहम घटनाओं में एक यह भी है कि दस दिन की दूरी बाजीराव जी ने केवल पांच 500 सौ घोड़ों के साथ 48 अड़तालीस घंटे में पूरी किए थे वो भी बिना रुके, बिना थके हुए..।।

देश के इतिहास में ये कई आक्रमण  सबसे तेज माने गए हैं..।।  एक अकबर का फतेहपुर से गुजरात के विद्रोह को दबाने के लिए 9 नौ दिन के अंदर वापस गुजरात जाकर हमला करना और दूसरा शूरवीर योद्धा बाजीराव जी  का दिल्ली पर हमला..।।

बाजीराव जी  दिल्ली तक चढ़ आए थे..।। आज जहां तालकटोरा स्टेडियम है..।।वहां बाजीराव ने डेरा डाल दिए थे..।। 19-20  उन्नीस-बीस साल के उस युवा ने मुगल ताकत को दिल्ली और उसके आसपास तक समेट दीए थे..।। 

मुग़ल बादशाह बाजीराव के नाम से ही कांपते थे।।

3 तीन दिन तक दिल्ली को बंधक बनाकर रखें हुवे,मुगल बादशाह की लाल किले से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं हुई..।। यहां तक कि 12वां मुगल बादशाह और औरंगजेब का नाती दिल्ली से बाहर भागने ही वाला था कि उसके लोगों ने बताया कि जान से मार दिए गए तो सल्तनत खत्म हो जाएगी..।। वह लाल किले के अंदर ही किसी अति गुप्त तहखाने में छिप गया..।।

शूरवीर बाजीराव जी मुगलों को अपनी ताकत दिखाकर वापस लौट गए थे..।।

हिंदुस्तान के इतिहास के बाजीराव बल्लाल जी भी  ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपनी मात्र 40 वर्ष की आयु में 42 बड़े युद्ध लड़े और एक भी नहीं हारे । अपराजेय , अद्वितीय..।।

शूरवीर योद्धा बाजीराव जी पहले ऐसे ही  योद्धा थे जिनका बड़े भू-भाग पे उनका सिक्का चलता था..।। यानि उनका बड़े  भू – भाग पे राज था..।।

महान योद्धा बाजीराव जी बिजली की गति से तेज आक्रमण शैली की कला में निपुण थे जिसे देखकर दुश्मनों के हौसले पस्त हो जाते थे..।।

शूरवीर योद्धा बाजीराव जी  हर सनातन हिंदू राजा के लिए आधी रात मदद करने को भी सदैव तैयार रहते थे..।।राष्ट्रप्रेम इतना था..।।

पूरे देश में एकता हो  ये उनके जीवन का लक्ष्य था..।।और जनता किसी भी धर्म को मानती हो,महान योद्धा  बाजीराव जी उनके साथ न्याय करते थे..।।

बजीराव पेशवा जी द्वारा निर्मित कुछ अदभुत कृतियाँ।

आप लोग कभी भी वाराणसी जाएंगे तो उनके नाम का एक घाट पाएंगे, जो खुद महान योद्धा बाजीराव जी ने 1735 ई. में बनवाए थे..।।

दिल्ली के बिरला मंदिर में आप कभी जाएंगे तो उनकी एक मूर्ति पाएंगे..।।

गुजरात के  कच्छ में जाएंगे तो उनका बनाया  आइना महल पाएंगे..।।

महाराष्ट्र के पूना में शनिवार बाड़ा  पाएंगे..।।

अगर बाजीराव बल्लाल  जी लू लगने के कारण बेहद ही कम उम्र में ना चल बसते , तो , ना तो अहमद शाह अब्दाली या नादिर शाह हावी हो पाते और ना ही अंग्रेज और पुर्तगालियों जैसी पश्चिमी ताकतें भारत पर राज कर पाती..।।

 28 अप्रैल  1740 ई.को उस पराक्रमी अपराजेय योद्धा ने  मध्यप्रदेश में सनावद के पास रावेरखेड़ी में प्राणोत्सर्ग किए थे..आज उनकी पुण्यतिथि पे उन्हें  मेरा कोटिशः नमन..।।

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