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Ravana’s Mysterious Pushpak Viman Found in Afghanistan

दुनिया का पहला विमान पुष्पक विमान था , रामायण कालीन इस विमान को हाल ही मे अफ़्ग़ानिस्तान मे देखा गया हैं।

पुष्पक विमान की विशेषता।

पुष्पक् विमान रावण के 5 विमानो मे से एक खाश् विमान था जो मन गति से स्वचलित था यानि उसमें अवाज से स्वाचल की ब्यवस्था थी, जैसे की आज के आधुनिक विमानो मे होता है, उसमें voice Activation और automatic mode इत्यादि थी।  विमान अवश्यकता अनुसार छोटा या बडा हो सकता था यानी उसमें एक्स्ट्रा space add करने की क्षमता भी थी,  पुष्पक विमान अदृश्य हो सकता था,  और खुद को protect भी कर सकता था,  उसमे invisible protection layer था जिससे विमान की सुरक्षा होती थी। 

किसने बनाया था इतना अत्याधुनिक पुष्पक विमान ?

रामायण कालीन कीसीे औजार हथियार या महल की बात होती है,  तो एक ही वास्तुकार का नाम सामने आता है वह है भगवान विश्वकर्मा का,  परन्तु धरती पर भी एक ऐसा कारीगर एक वास्तुकार था जो विश्वकर्मा के टक्कर का कारीगर था,उसका नाम था माया सूर,  माया सुर मायावी शक्तियों का मालिक था,  कहा जाता है कि माया सूर विश्वकर्मा के सानिध्य मे ही वास्तुकारी की विद्या सीखी थी। मयासुर् एक तरह से विश्वकर्मा भगवान का प्रतिद्वंदी भी था। 

मायासुर लंका का वास्तुकार था, और मायासुर् ने ही लंका के हनुमान जी द्वारा जलाये जाने के बाद पुनः निर्मांण किया था। 

मायासुर् ने पुष्पक विमान का निर्मांण कुबेर के लिए किया था,  परंतु रावण ने पुष्पक विमान को कुबेर से छीन लिया था,  तथा मायासुर् को भी अपने पास ही रख लिया था। 

मायासुर् ने रावण के लिए और भी 4 विमान का निर्मांण् किया था, जिसका उपयोग रावण दूसरे देश जाने के लिए किया करता था,  क्योंकि लंका चारों तरफ से समुंद्र से घिरा था, और हवाई मार्ग ही एकलौता रास्ता था दूसरे देश जाने का। 

रावण के पास 5 ऐसे विमान होने की कल्पना की गई है जिसमे पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है , इस कल्पना की पुष्टि इस बात से होती है की श्रीलंका मे आज के समय 5 ऐसे हवाई पट्टी की खोज हो चुकी है जो रामायण कालीन हवाईपट्टी होने की संभावना है ,उसमे से एक हवाई पट्टी का नाम Vairanga Tata है जहाँ से पुष्पक विमान उड़ता था , पुष्पक विमान को श्रीलंका के लोग धनुमोनारा या flying Peacock कहते है। 

महाभारत काल मे भी इंद्रप्रस्त जैसे शहर का निर्मण् भी मायासुर् ने किया था।

मायासुर ने रावण और असुरो के अलावा इंसानो और देवताओ के लिए भी वास्तुकारी का काम किया था , जिनमे से तरातर के पुत्रों के लिए मयासुर ने त्रिपुरा में 3 flying City यानि हवा में स्थित शहर का निर्माण कराया था, इसके अलावा जब पांडवों को दुर्योधन ने छल करके जंगल की ज़मीन यानि खांडव वन दे दी तो पांडवों को निरास  हुई तब भगवन कृष्ण ने उन्हें मयासुर से खांडव वन को उनकी राजधानी का निर्माण करने के लिए कहा और अर्जुन ने उस वन अपने बाण से अग्नि उत्पन्न करके वन  कर विनाश कर दिया और मयासुर ने वहाँ अपनी माया और वास्तुकारी से पांडवों के लिए ऐसे महल का निर्माण किया जो बिलकुल अधभूत महल था , जहाँ का दृश्य एकदम अलौकिक था , वहाँ महल के फर्श के निचे ऐसी कारीगरी थी की पता ही नहीं चलता था की निचे झरना है या जंगल , इस महल को देखने जब दुर्योधन आया तो हैरत अंगेज हो गया था , वहाँ फर्श पर पता ही नहीं चलता था की कहा पानी है और कहा नहीं ,ऐसे में दुर्योधन ऐसे जगह चला गया जहाँ सच में पानी का झरना था और वो भींग गया , जब द्रोपती ने इस दृश्य को को देखा तो हस्ते हुए दुर्योधन को बोल दी अँधा का पुत्र अँधा ये भी एक कारण था , महाभारत युद्ध होने का। 

मायासुर वास्तुकारी के अलावा खगोल विज्ञानं का भी बहुत बड़ा ज्ञाता था।

माया सुर ने वास्तुकारी के अलावा खगोल विज्ञानं का भी बहुत बड़ा ज्ञाता था जिसकी मदद से वो ब्रमांड की शक्तयों का उपयोग करके अपनी वास्तुकला को और भी  मायावी और शक्तिशाली बना देता था, मयासुर ने सूर्य सिद्धांत नामक एक ग्रन्थ का निर्माण किया था जो आज भी भारतीय खगोल रचना का आधारभूत है 

अग़निस्तान में दिखा पुनः रावण का पुष्पक विमान।

जब रामायण में रावण और राम युद्ध समाप्त हुआ तब राम जी को अयोध्या पहुंचने की अतिशीघ्रता थी क्योंकि भारत जी ने वचन दिया था अगर 14 वर्ष से 1 दिन का भी  विलम्ब हुआ तो वे आत्मदाह कर लेंगे , अगर प्रभु राम वहाँ पैदल या रथ से भी जाते तो विलम्ब होना ही था , तब भिभीषन ने उन्हें पुष्पक विमान की खासियत बताई की ये विमान आपको पालक झपकते ही अयोध्या पंहुचा सकता है और इसे आवश्यकता अनुसार बड़ा या छोटा भी किया जा सकता है। अयोध्या पहुंचने के बाद वहाँ उनसे कुबेर मिलने आये और उन्होंने पुष्पक विमान के बारे में बताते हुए प्रभु राम से ये कह कर  ले लिया की आप के बाद इस बिमान का दुरपयोग हो सकता है इसमें अस्त्र शास्त्र भी है, जो अति विनाशकारी हो सकते है , तब प्रभु राम ने उसमे प्रोटेक्शन मोड ऑन करके छुपा दिया था। 

 2012 में अमेरिका के रिपोर्ट की बात माने तो वायर्ड डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि प्राचीन भारत के हजारों वर्ष पुराने एक विमान को हाल ही में अफ‍गानिस्तान की एक गुफा में पाया गया है। कहा जाता है कि यह विमान एक ‘टाइम वेल’ में फंसा हुआ है अथवा इसके कारण सुरक्षित बना हुआ है। टाइम वेल एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्‍स से सुरक्षित क्षेत्र होता है और इस कारण से इस विमान के पास जाने की चेष्टा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण गायब या अदृश्य हो जाता है।

अफगानिस्तान में की एक गुफा भरी मात्रा में रेडिएशन होने संभावना सब का ध्यान अपनी और खींच लिया ऐसा लग रहा था की इस गुफा में कुछ छुपाने इसका निर्माण किया गया है , जब उन्हें इसकी झलक मिली तो वे हैरान हो गए कंट्रोवर्सिल फाइल वेबसाइट की माने तो ये एक विमान था जो अफ़ग़ानिस्तान की किसी दुर्गम पहाड़ी में छुपा हुआ था , जिसे खोजने के लिए अमेरिका ने अफगान सरकार से मिल के एक सेक्रेटे स्काउट तैयार की थी जिसमे अमेरिकी नेवी सील के 8 कमांडो शामिल थे , परन्तु इस खोज को दौरान उन 8 एजेंट का कुछ पता नहीं चला और और वह विमान भी रहस्मयी तरीके से विलुप्त हो गया , कुछ लोगो का मानना है विमान में लगे प्रोटेक्शन के चलते वह स्वम् विलुप्त हो गया और साथ में उन 8 एजेंटो का भी कुछ पता नहीं चला,  कुछ रिपोर्ट के अनुसार विमान को छुते ही उसका  टाइम वेल चालू हो गया होगा और विमान के साथ संपर्क मे आये 8 कमांडो भी बिलुप्त हो गए। 

आखिर इतने सारे साक्ष्यों के बावजूद अब तक एक भी पौराणिक बिमान क्यों नहीं मिले।

आज दुनिया भर में ऐसे साक्ष्य और तस्वीरें और उल्लेख मिलाने के बावजूद एक भी पौराणिक विमान ये अश्त्र शास्त्र क्यों नहीं मिले चलिए इसे एक कल्पन से समझते है , अगर तीसरा विश्वयुद्ध होता है तो क्या होगा आज सभी देशों के परमाणु बॉम और खतनाक हतियारो से और मिसाइलों से लेश बिमान है जो एक देश को पूर्ण रूप से समाप्त क्र सकते है , और हम पुनः हजारो साल पीछे चले जायेंगे , ऐसा ही कुछ हुआ था महाभारत युद्ध में जहाँ ब्रम्हसत्र जैसे परमाणु बॉम की तरह अस्त्र मौजूद थे , और महाभारत भी एक तरह का विश्वयुद्ध था जिसके बाद लोगो को ज्ञान हुआ की ये विमान अस्त्र शास्त्र कितने घातक है , इस युद्ध के बाद उन अश्त्र शाश्त्रो को या तो छुपा दिया गया था या नष्ट कर दिया गया था और उसके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया , जिसके चलते उनका निर्माण भी नहीं हुआ और धीरे धीरे ये ज्ञान भी खत्म हो गया, इसीलिए अब बस इनके कहानिये किस्से और कुछ तस्वीरें ही है जिससे इसकी कल्पना की जा सकती है। 

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