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Where did the Sudarshan Chakra disappear after the death of Lord Krishna in Hindi .

भगवान कृष्ण के मृत्यु के पश्चात कहाँ गायब हो गया सुदर्शन चक्र।

भगवान कृष्ण हिंदु धर्म के सबसे popular भगवान माने जाते है , भगवान कृष्ण के मंदिर आज विदेशो में भी बनाये जा रहे है , ISCON TEMPLE बहुत ही चर्चित मंदिर है ये मंदिर भारत के अलावा विदेशो में भी बनवाय जा रहे है और इन मंदिरों की फंडिंग विदेशो से ही होती है , इन ISCON temple में राधा कृष्णा की मूर्ति होती है और इसके पुजारी विदेशी ही होते है।

जितना पॉपुलर भगवान कृष्ण थे उतना ही प्रसिद्ध और रहस्यमयी अस्त्र था उनका सुदर्शन चक्र , सुदर्शन चक्र में अद्भुत शक्तिया थी , सुदशन चक्र अलग तरह के कार्यो को एक साथ कर सकता था , तो चलिए जानते है सुदशन चक्र के शक्तियों और विशेषताओं के बारे में।

सुदशन चक्र भगवान विष्णु के पास कैसे आया?

शिव पुराण के अनुसार भगवान विष्णु की तपस्या से खुश होकर भगवान शंकर ने उन्हें सुदर्शन चक्र दिया था , कहाँ जाता है की सृष्टि को सृजित करते समय बहुत सी आसुरी शक्तियों का भी निर्माण हो गया था , जिनका विनाश करना बहुत जरुरी था अन्यथा सृष्टि की रचना समाप्त हो जाती और इन शक्तियों को किसी विशेष अश्त्र से ही समाप्त किया जा सकता था , अब चुकी सृष्टि की एक्सेक्युशन यानि सृष्टि के संचालनं की जिम्मेवारी भगवान विष्णु पर थी, इसीलिए उन्हें एक ऐसे अस्त्र की आवश्यकता थी , जिससे असुरों का नाश हो सके , फिर ब्रम्हा जी के कहने पर भगवान विष्णु ने भोलेनाथ की तपस्या की तब भोलेनाथ प्रशन्न होकर भगवान विष्णु को सुद्रशन चक्र सृष्टि सञ्चालन के दिया था।

सुदर्शन चक्र का निर्माण कैसे हुआ।

शिव पुराण के अनुसार सुदर्शन चक्र की रचना भगवान विश्कर्मा ने की थी भगवान विश्वकर्मा ने सूर्य की अभेद राख से 3 अस्त्रों का निर्माण किया था , जिसमे भोलेनाथ का शूलपाणि त्रिशूल ,पुष्पक विमान और सुदर्शन चक्र था, ये तीनो भोलेनाथ के पास थे , जिसमे से पुष्पक विमान रावण ने भोलेनाथ की तपस्या करके ले लिए थे ,दूसरा सुदर्शन चक्र जिसे भोलेनाथ ने भगवान विष्णु को दे दिए थे और तीसरा त्रिशूल उन्होंने अपने पास रख लिया था।

कुछ पुराणों के अनुसार सुद्रशन चक्र और भगवान विष्णु का शंख दोनों सतयुग के समय समुन्द्र मंथन में निकले थे ,जिसे स्वम् भगवान विष्णु ने धारण किया था।

सुदर्शन चक्र की कुछ विशेषताएं।

  • अभेद लक्ष्य शक्ति – सुदर्शन चक्र में अभेद लक्ष्य शक्तियाँ थी , जिसे किसी भी लक्ष्य को टारगेट देकर छोड़ दिया जाये तो वह उसे किसी हाल में ख़त्म कर ही देता था, चाहे वह चल या अचल अवस्था में ही क्यों न हो, सुदर्शन चक्र का उपयोग भगवान विष्णु ने शिव पर भी किया था, जब भोलेनाथ शक्ति स्वरूपनी सति के पार्थिव शरीर को लेकर ब्रमांड में घूम रहे थे , तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र की सहायता से माता सति के पार्थिव शरीर के 51 टुकड़े कर दिए और वे धरती के 51 जगहों पर गिरे जिन्हे आज माता के शक्ति पीठ से जाना जाता है।
  • लक्ष्य को भेदकर वापस आने की विशेषता– सुदर्शन चक्र को अगर किसी लक्ष्य चला दिया जाय तो वह स्वम् लक्ष्य को भेदकर वापस आ जाता था , सुद्रशन चक्र की शक्ति से भगवान कृष्ण ने द्वापर युग में भागते हुए शिशुपाल का वध किया था।
  • बड़ा और छोटा होने की विशेषता – सुदर्शन चक्र बड़ा या छोटा हो सकता था , इसी की शक्ति का प्रयोग कर भगवान विष्णु ने सूर्य को भी ढँक दिया था , महाभारत युद्ध में जब अभिमन्यु मारा गया तब अर्जुन ने प्रण लिया की वे संध्या से पहले जयद्रथ का वध क्र देंगे नहीं तो खुद अग्नि समाधी ले लेंगे , जब युद्ध सुरु हुआ तो कौरव की पूरी सेना जयद्रथ बचाने में लग गई थी ,संध्या होने वाली जयद्रथ अब भी भी छुपा हुआ था ,तब भगवान कृष्ण ने सूर्य को सुदर्शन चक्र से ढँक लिया , और संध्या होते ही जयद्रथ सामने आ गया और जब अर्जुन अग्नि समाधी लेने ही जा रहे थे तब भगवान कृष्ण ने फिर से सुदर्शन चक्र हटा लिया इस प्रकार सूर्य और जयद्रथ दोनों दिखने लगे और अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया।
  • काल यानि समय को रोकने की शक्ति – भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान ही युद्ध भूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था वो भी सुदर्शन चक्र के द्वारा समय यानि काल को रोककर उस वक्त अर्जुन और भगवान कृष्ण के अलावा सभी के लिए समय रुक गया था।

ऋग्वेद के अनुसार सुदर्शन चक्र का वर्णन।

ऋग्वेद में सुदर्शन चक्र का एक अलग ही वर्णन मिलता है, ऋग्वेद के अनुसार सुदर्शन चक्र एक समय का चक्र है जो अपने अंदर समय को बांध कर रख सकता है , इसी शक्ति से भगवान कृष्ण ने समय को रोककर महाभारत युद्ध भूमि में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था , ऋग्वेद के अनुसार सुदर्शन चक्र कोई भौतिक अस्त्र नहीं है ये एक भगवान विष्णु का विशेष गुण है, जो भगवान विष्णु या उनके अवतारों के पास ही होता है जिससे ये समय को रोकर शत्रु की शक्तियों को कमजोर और प्रहार हींन बना देते थे।

भगवान कृष्ण के मृत्यु के पश्चात् कहाँ गायब हो गया सुदर्शन चक्र।

सुदर्शन चक्र को स्वम् भगवान परसुराम जी ने विष्णु भगवान से लेकर भगवान कृष्ण को दिया था, सुदर्शन चक्र का आखिरी उपयोग जयद्रथ वध के समय हुआ था, उसके बाद कही भी सुद्रशन चक्र का प्रयोग का वर्णन नहीं मिलता है, तो आखिर भगवान कृष्ण के मृत्यु के पश्चात् कहाँ चला गया सुद्रशन चक्र ? इस प्रश्न का उत्तर भविष्य पुराण में मिलता है।

कल्कि अवतार पुनः धारण करेंगे सुदर्शन चक्र।

भविष्य पुराण के अनुसार भगवान कृष्ण के मृत्यु के बाद सुदर्शर्न चक्र पृथ्वी के गर्व गृह में समां गया था , जब कलयुग के अंत में भगवान विष्णु का 10वा अवतार कल्कि अवतार होगा तब परशुराम जी और हनुमान जी के अलावा 5 और दिब्या पुरुष उनसे मिलेंगे और उनको प्रशिक्षित करेंगे और तब धरती के गर्व गृह से पुनः परसुराम जी कल्कि को सुदर्शन चक्र को निकालकर धारण कराएँगे ताकि किलयुग के सबसे शक्तिशाली राक्षस कलीपुरुस का विनाश किया जा सके , भगवान विष्णु और उनके अवतार के अलावा कोई भी सुदर्शन चक्र को धारण नहीं कर सकता है।

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