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Divya City In Himalaya / City of Immortals

हिमालय में बसा एक रहस्यमयी दिव्या शहर जिसे धरती का स्वर्ग या स्वर्ग पथ भी कहते है,इसे अनेको नमो से जाना जाता है ज्ञानगंज मठ, सिद्धाश्रम,संग्रीला, और संभाला इत्यादि।

हिमालय में बसा एक अद्भुत रहस्यमयी जगह जहाँ पर सबकी आयु हजारो वर्षो की हो ,जहाँ लोग 12 फ़ीट के हो और हर किसी के पास दैविक शक्तिया , हमारी दुनिया से अलग एक ऐसा शहर जो स्वर्ग के समान हो ,इस जगह की खोज ने कई लोगो अपनी और आकर्षित किया है ,हिन्दू धर्म के बहुत सारे पुराणों और वेदो में भी इस जगह का जिक्र मिलता है , इसके अलावा चीन और तिब्बत के धर्म ग्रंथो में भी इस जगह को अलग अलग नामो से जाना जाता है , हिमालय में सच में एक ऐसी रहस्यमयी जगह है जहाँ किसी की मृत्यु नहीं होती , परन्तु इस पवित्र जगह को देखना हर किसी के बस में नहीं है , दुनिया में कई ऐसे रहस्य है जिनके सामने विज्ञानं ने भी हार मान ली है ,हिमालय अपने आप में ही एक रहस्य है ,ज्ञानगंज मठ हिमालय में छुपा एक ऐसा ही रहस्मयी शहर है , इसे सिद्धाश्रम ,संग्रीला या संभाला भी कहते है।

प्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक JAMES HILTEN की लिखी किताब LOST HORIZON the legend of Shangri-La इसी रहस्यमयी शहर ज्ञानगंज मठ पर आधारित है , ज्ञानगंज मठ 2400 किलोमीटर में फैली एक घाटी है जो तिब्बत और अरुणांचल के बिच फैली होने का दवा किया गया है , परन्तु आज़तक यहाँ कोई भी पहुंचने के रास्ता या तरीका नहीं खोज पाया है ,उस जगह पर पहुंचने के लिए घोर तपस्या के साथ शारारिक व् मानसिक रूप से बहुत परिश्रम करना पड़ता है।

कहा जाता है की यहाँ देवताओ का आगमन व प्रस्थान होता है ये जगह इतना पवित्र है की यहाँ केवल धर्म का ही पालन होता है , और इस जगह को केवल दिब्या दृष्टि से ही देखा जा सकता है।

रामायण में भी इस जगह का ब्याख्यान मिलता है।

हिमालय के रहस्यमयी शहर का जिक्र रामायण में भी मिलता है , परन्तु उससे भी पहले सतयुग में भी इस जगह का जिक्र एक बार मिलता है , विष्णु पुराण के अनुसार जब समुन्द्र मंथन हुआ था तब , उससे अनेको जड़ी बूटिया ,कौस्तुब मणि, शंख परीजाद बृक्ष और अमृत के साथ संजीवनी बूटी भी निकली थी ,जिसे हिमालय में एक गुप्त जगह पर रखा गया था , ये वही जगह ज्ञानगंज मठ था जहाँ संजीवनी बूटी को रखा गया था।

रामायण के अनुसार विश्वामित्र श्रीराम और लक्ष्मण जी को वेदो ग्रंथो और शाश्त्रो के साथ अष्ट सिद्धियों और नव निधियों की जानकारी के लिए हिमालय के इसी जगह ले गए थे जिसे सिद्धाश्रम कहा जाता था।

इस जगह का जिक्र रामायण में एक और बार तब मिलता है जब लक्ष्मण जी को मेघनाथ की प्राणघातनि बरछी लगती और वे मूर्छित हो जाते है तब लंका के बैद को हनुमान जी लंका से उठा ले जाते है और तब बैद सुषेण ने हनुमान जी को संछेप में इस जगह का विवरण बताते हुए बताते है की हिमालय में एक गुप्त जगह पर संजीवनी बूटी है जिसका संरक्षण देवताओं द्वारा किया जाता है , उस बूटी से मरते शरीर में भी जान डाला जा सकता है।

तो क्या आज भी ये संजीवनी बूटी हिमालय में है , जी है बौद्ध धर्म के लोगो के अनुसार ज्ञानगंज में रहने वाले साधु योग विद्या में पारंगत है , और वे अपने स्वास्थ को अनंत काल तक स्वस्थ रखने में सक्षम होते है , इसीलिए उनकी कभी मृत्यु नहीं होती।

बैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अगर कोई अपने सेल को हमेशा बनाते रहे और अपने अंगो को हमेशा स्वस्थ रख सके तो उसकी मृत्यु कभी नहीं होगी , आयुर्वेद में भी अमर होने के लिए यही उपाय बताया गया है।

स्वर्ग जाने का रास्ता है हिमालय में बसा संभाला शहर।

सांघाई चीन के वासी डॉक्टर लुइसिन ने संभाला के बारे में खोज करते हुवे कहा है की पूरी दुनिया में उस जगह पर आधुनिक उपकरणों का उपयोग करना नामुमकिन है क्योंकि वहाँ के वासी हमसे अत्यधिक उन्नत और आधुनिक है , और उन्होंने आगे कहा की ये जगह पृथ्वी से स्वर्ग जाने का मार्ग है , यहाँ के लोग टेलीपैथी के माध्यम से दुनिया के किसी भी ब्यक्ति से बात कर सकते है , औऱ किसी भी घटना की जानकारी क्षणों में लगा सकते है।

कई धर्म ग्रंथो में इस जगह को स्वर्ग भी कहा गया है , जहाँ दुःख दर्द दर लोभ झोभ मोह और ईर्ष्या का निवास नहीं हो सकता है , हिमालय की इस जगह को HIDDEN CITY के नाम से भी जाना जाता है।

कहा जाता है की भगवान् बुद्ध ने अपने अंतिम समय में समय के चक्र को जान लिया था , और इस जगह के बारे में कई लोगो बताया भी था , और उसके बाद से ही इसे तिब्बत में संभाला कहा जाने लगा , जिसका अर्थ है खुशियों का श्रोत।

हिटलर ने इस जगह की खोज के लिए एक संगठन बनाया था।

हिमालय में मौजूद इस CENTER को planet of Head Center भी कहा जाता है , सन 1931 में जन्मे रूस के प्रमुख तांत्रिक (Occultist ) Helena Blavatsky अपने किताब ISIS UNVEIED और THE SECRETE DOCTRINE में बताया है की उन्होंने संभाला में द्वापर युग के 20 से 25 फ़ीट के जीवो को देखा है, ये किताब Amazon पर भी उपलब्ध है। 1974 में जन्मे रूस के मशहूर पेंटर NICOLAUS RORICH ने भी इस जगह के बारे में कई सारे खोज किये थे।

जर्मन के हिटलर ने भी इस जगह की खोज के लिए 1930 में ULTIMA TULE नामक संगठन बनाकर हिमालय की दुर्गम पहाड़ियों में भेजा था , अल्टिमा तुले का मतलब अद्भुत जगहों की खोज करने वाला संगठन , परन्तु हिटलर असफल रहा।

बौद्ध धर्म की किताबो में इस जगह तक पहुंचने के कुछ मार्ग दिए गए है।

कहा जाता है की भगवान बुद्ध को इस जगह का ज्ञान हो गया था , और उन्होंने इसके बारे में कुछ लोगो बताया भी था , इस जगह पर जाने के लिए अत्यधिक परिश्रम और धैर्य रखना होगा , इस स्थान पर पहुंचने के लिए गोबी रेगिस्तान को पार करना होगा उसके बाद बहुत सारी पहाड़िया आएंगी इसको पार करने के बाद भी सम्भला शहर दिखेगा या नहीं इसका कोई प्रमाण नहीं है , क्योंकि कुछ बौद्ध भिक्षुओ के अनुसार संभाला तिब्बत के KUNLUN में है , इस जगह के अनेको नाम है।

महाभारत में भी संभाला को स्वर्ग का मार्ग बताया गया है।

महाभारत के युद्ध के उपरांत युधिष्ठिर राजा बनते है और कुछ साल राज करने के बाद अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राज सौप कर भगवान कृष्ण से स्वर्ग जाने मार्ग पूछते है तब भगवान कृष्ण इस स्थान का नाम बताते है तदोपरांत पांच पांडव और द्रोपती इस जगह की खोज में जाते है, परन्तु केवल युधिष्ठिर ही इस जगह पर पहुंच पाते है।

भगवान कृष्ण के १०वे अवतार कल्कि का जन्म भी संभाला में होगा।

विष्णु पुराण के भविष्य पुराण में भगवान विष्णु के १०वे अवतार की भविष्यवाणी है जिसमे साफ़ तौर पर लिखा गया है की भगवान कल्कि का अवतार संभाला में होगा।

और तिब्बत के बौद्ध धर्म के लोगो में ये मान्यता है की जब दुनिया का सबसे बुरा दौर होगा जब सारी दुनिया धर्म मुक्त होकर सिर्फ पाप के पथ पर होगी ,तब इसी जगह से २५वा शाशक आएगा और दुनिया को मार्गदर्शित करेगा।

तिब्बत के लोगो का मानना है की कैलाश पर्वत से ही इस जगह पर जाने का कोई रास्ता है और कैलाश पर्वत के निचे दो शहर बासे हुए है पहला संभाला और दूसरा अगाथा और संभाला की रक्षा पारलौकिक शक्तिया कर रही है यहाँ सिर्फ सिद्धि प्राप्त लोग ही जा सकते है।

बैज्ञानिको का भी मानना है की कैलाश पर्वत में अजीब सी रेडिएसशन आती है , और यहाँ पर किये प्रोयोगो से ये साफ़ स्पष्ट है की यहाँ पर कुछ तो रहस्य है , इसीलिए हिमालय की चोटी पर बहुत से लोग चढ़ चुके है परन्तु कैलाश पर्वत पर आजतक कोई नहीं चढ़ पाया है , अब तो इसपर चढने की मनाही भी हो चुकी है।

धन्यवाद।

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