सृष्टि की रचना और ब्रम्हा विष्णु महेश की उतपत्ति की सम्पूर्ण कहानी।
जैसा की हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस सृष्टि की रचना भगवान ब्रम्हा ने की थी , परन्तु ये कम ही लोग जानते है की तीनो त्रिदेवो की उत्पत्ति कैसे हुयी है , अगर जानते भी है तो पूरी कहानी नहीं जानते होंगे , सिर्फ एक पुराण को पढ़ने से उनकी उत्तत्ति को जानना संभव नहीं है ,उनकी उतपत्ति को लेकर कुछ किवंदितिया भी है जिनको जानना और समझना अति आवश्यक है , इसलिए हम आज ब्रम्हा विष्णु महेश की उत्पत्ति की पूरी कहानी यहाँ जानेंगे चाहे वो विष्णु पुराण से हो या शिव पुराण से याकि वेदो से क्योंकि सिर्फ एक पुराण को पढ़ने या समझने से ब्रम्हा विष्णु और महेश की उतपत्ति की सम्पूर्ण कहानी नहीं जनि जा सकती आपको ये ३नो ही पढ़ने अति आवश्यक है तो चलिए पहले किवंदितियों से सुरु करते है।
एक किवंदिति के अनुसार भगवान शिव से एक ऋषि ने पूछा की आपके पिता कौन है तब भोलेनाथ ने जवाब दिया की ब्रम्हा जी मेरे पिता है , उनके कलह और रुदन से मेरे रूद्र रूप का जन्म हुआ इसलिए वे मेरे पिता ब्रम्हा जी है , तब ऋषि ने अपनी जिज्ञासा को और बढ़ाते हुआ भगवान शिव से पूछा की तब आपके पितामह (दादा ) कौन है , भोलेनाथ बड़े ही शालीनता से बोले मेरे पितामह भगवन विष्णु जी है , उनके ही नाभि से ब्रम्हा जी का जन्म हुआ था सो भगवान विष्णु मेरे पितामह हुये ,अब भी ऋषि की जिज्ञासा शांत नहीं हुयी और उन्होंने भोलेनाथ से आगे पूछा की तब आपके पर पितामह (परदादा ) कौन है , तब भोलेनाथ मुस्काये बोले मैं स्वम, स्वंम का पर पितामह हु। मैंने ही श्रीहरि को भस्म और अमृत को अपने शरीर में मल कर स्वम से श्री विष्णु जी को उत्पन्न किया था , तो हे ऋषिवर में स्वम ,स्वम का पर पितामह भी हूँ ।
इस किवंदिति का जन्म भी वेदों की जानकारी रखने वाले ने की होगी तभी इसमें इस तरह की कहानी का वर्णन किया होगा अन्यथा ये कैसे मुमकिन होगा की कोई स्वम का परपितामह भी स्वम ही आगे इस कहानी पर विचार करेंगे। उससे पहले एक और किवंदिति से ब्रम्हा विष्णु और महेश की उतपत्ति को समझने की कोशिश करते है।
एक किवंदिति के अनुसार ब्रम्हा विष्णु महेश को उत्पन्न माँ शक्ति ने किया और उनको इस सृष्टि की रचना सञ्चालन और विनाश की जिम्मेवारी दी , और माता ने अलग अलग रूपों में जन्म लेकर इन त्रिदेवो की अर्धांगिनी बनी।
कुछ और भी किवंदितिया है , जैसे माता शक्ति ने पहले ब्रम्हा जी की रचना की फिर उन्हें ज्ञान देकर स्वम से विवाह करने को कहा तब ब्रम्हा जी ने उन्हें माता कहकर मना कर दिया तब उन्होंने ब्रम्हा जी को भस्म क्र दिया और श्रीहरि यानि विष्णु जी को उत्पन्न किया ,माता ने उनसे भी विवाह के लिए कहा और उनका जवाब भी ब्रम्हा जी की तरह ही था इसलिए उन्हें माता ने उन्हें भी भस्म कर दिया और अंत में महेश को उत्पन्न किया उनसे भी विवाह करने को कहा तब महेश ने उनकी बात मान ली परन्तु उनके समक्ष 2 शर्त रखी पहली की उनके दोनों भाइयो को पुनः जीवित करे तथा दूसरी की आप दूसरा जन्म लेकर मुझसे विवाह करे माता शक्ति ब्रम्हा और विष्णु को पुनः जीवित किया और पार्वती के रूप में पुनः जन्म लेकर महेश से विहाह किया।
विष्णु पुराण के अनुसार भगवन विष्णु का जन्म कभी हुआ ही नहीं और उन्होंने ने ही ब्रम्हा और महेश को सृष्टि रचना और विनाश के लिए उत्पन्न किया है भगवान श्रीहरि का आदि अंत नहीं है वे स्वम अनादि श्रीविष्णु है उनसे ही पुरे ब्रमांड की रचना हुयी।
शिव पुराण के अनुसार अनादि शिव ने ही अपने शरीर पर अमृत मल कर अपने शरीर और अमृत से श्रीहरि विष्णु को जन्म दिया तथा श्रीहरि ने अपने नाभि से ब्रम्हा जी को जन्म दिया है।
वेदो के अनुसार एक अजेय शक्ति है जिसका कोई आदि अंत नहीं है जिसको समझने के लिए इंसानी शरीर तो क्या स्वम देवता देवताओं का ज्ञान भी भी असमर्थ है, उस शक्ति का कोई रूप आकर नहीं है ,वो निरंकार शक्ति है , जिसे ॐ अनादि शक्ति ,प्रकृति ,परमब्रम्ह ,महाविष्णु , अनादि शिव आदि नमो से जाना जाता है , इन्ही के अलग अलग रूप है ,ब्रम्हा विष्णु और महेश जिनको माता शक्ति के ने अवतरित किया , इनमे भी अलग अलग रूप को स्वम त्रिदेवों ने उतपन्न किया जैसे आदि शिव ने अमृत से गर्वोदक्षाय विष्णु को उतपन्न किआ , गर्वोदाक्षाय विष्णु से महाविष्णु यानी ब्रम्हा जी का जन्म हुआ ,जो सृष्टि के रचनाकार हुवे और ब्रम्हा जी ने क्षीरोदक्षाय विष्णु को जन्म दिया जो सृष्टि के पालनहार हुवे , तथा ब्रम्हा जी के रुदन से रूद्र रूप महेश का जन्म हुआ जिन्हे सृष्टि की विनाश की जिम्मेवारी दी गई।
अतः विष्णु पुराण एवं शिव पुराण जो लिखित है ,उसको समझने के लिए वेदो की जानकारी भी बहुत जरुरी है , ये कहना की ब्रम्हा विष्णु के माता पिता कौन है ये गलत होगा क्योंकि अंततः सब ने एक दूसरे को जन्म दिया और सभी एक ही है , ब्रम्हा विष्णु और महेश की जन्म की कहानी तो देवता भी नहीं जानते ,तो इंसान के बस की बात कहा है , ब्रम्हा विष्णु और महेश के जन्म की गुत्थी और रहस्य को सुलझने के लिए इंसान तो क्या देवता भी असमर्थ है।
निष्कर्ष – ब्रम्हा विष्णु और महेश का जन्म नहीं हुआ है, ये आदिकाल से है इन्होने ने इस ब्रमांड की रचना की और 3नो ही एक ही शक्ति के अलग अलग रूप मात्र है।
धन्यवाद्।
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