Categories: General

The Story of Ram Setu / Ram setu ki sachai / Adam’s Bridge

रामसेतु के निर्माण के रहस्य की कहानी एवं बैज्ञानिक विचार धारा।

वैसे तो दुनिया में 7 अजूबे है परन्तु ये सिर्फ प्रसिद्ध है इसलिए 7 अजूबो में इनकी गिनती होती है , परन्तु आपको मालूम होना चाहिए की इन अजूबो से भी भी ज्यादे पुरानी, बड़ी और अद्भुत कलाकृर्तियों वाले किला और मंदिर भारत में ही है परन्तु इनका नाम इन अजूबों में नहीं आता ,कुछ का तो ये भी पता नहीं की ये कितना पुराना है जैसे तक्षशिला विश्विद्यालय आज भी ये खंडहर अवस्था में पाकिस्तान में है , यह कितना पुराना है ये किसी को नहीं पता, एक शोध में बस इतना पता लग पाया है की ये 10 हजार साल से भी पुराना है , कुछ मतों के अनुसार ये श्रीराम के भाई भरत के पुत्र तक्ष द्वारा निर्मित है ।

दूसरा जामवंती गुफा गुजरात इस गुफा पर आज भी खोज हो रहा हैं ,ये गुफा 100 किलोमीटर से भी बड़ी है , कहा जाता है की रामायण के पात्र जामवंत इसी गुफा रहते थे और त्रेता युग से द्वापर युग तक यही रहे , कृष्णा और जामवंत की लड़ाई भी यही हुयी थी , इस गुफा पर भारत ही नहीं विदेशो में भी शोध हो रहा है , नॉर्वे के एक शोधकर्ता ने इसे करोडो साल पुराना गुफा बतलाया है , यहाँ करोडो साल पुराने बर्फ से बने शिव लिंग भी है , इसपर नार्वे के एक शोधकर्ता ने कहा की गुफा की छत से पानी रिश कर गिरता है उसमे कैल्सियम की मात्रा होती है जो ज़मीन पर गिर कर धीरे धीरे ठोस और शिव लिंग के आकर में बदल जाती है इस क्रिया में लाखो करोडो साल लग जाते है।

खैर जामवंती गुफा के बारे आपको बताने मकसद ये था की आपको पता चले कि हिन्दू इतिहास आज का नहीं है रामायण काल आज से लगभग साढ़े नौ लाख साल पहले का है, कुछ इतिहासकार इसे 7 हजार साल पहले का मानते है , परन्तु ये सरासर गलत है इसे मै यही साबित कर देता हूँ।

अवतार की संकल्पना (concept)

चुकी विष्णु अवतार युग के अंत में ही होते हरेक युग में विष्णु के एक अवतार अवतरित होते है, और जैसे ही अवतार अपने मुक्ति धाम जाते है युग की समाप्ति हो जाती है , त्रेता युग के अंत में श्रीराम के रूप में भगवान विष्णु का अवतार हुआ और अवतार की मुक्ति के साथ ही त्रेता युग समाप्त हुआ और द्वापर शुरू हुआ , अब आगे चलते है कृष्णा अवतार द्वापर युग के अंत में हुआ और कृष्णा के मृत्यु के बाद ही कलयुग की सुरुवात हुयी , इसी तरह कलयुग के अंत में कल्कि अवतार होंगे।

अब इसी क्रम में जोड़े तो अगर रामायण 7 हजार साल पहले हुआ है , और महाभारत 5 हजार साल पहले हुआ है , ये थ्योरी गलत हो जाती है क्योंकि रामायण और महाभारत काल के बीच में एक युग का अंतर है , ऐसे में एक युग 2 हजार साल का तो नहीं हो सकता है , इसलिए रामायण लाखो साल पहले की घटना है , अब उसपे तो लोग सवाल उठाएंगे ही , जिन्हे हाल फ़िलहाल में पता चला हो की धरती चपटी नहीं गोल है।

राम सेतु के निर्माण की कहानी।

जैसा की सभी को मालूम है रामायण में जब माता सीता को रावण हरण कर के लंका ले गया था , तब श्रीराम ने माता सीता की खोज करते हुए सुग्रीव और हनुमान जी से मिले और बाली का वध किया , इस तरह प्रभु श्रीराम को राजा सुग्रीव की मित्रता और सुग्रीव की वानरी सेना मिली, फिर माता सीता की खोज सुरु हुयी , और पक्षीराज जटायु के भाई सम्पाती से पता चला की रावण माता सीता को लंका लेकर लंका गया हैं , अब समस्या ये आन पड़ी की समुद्र को कैसे पार किया जाय क्योंकि नाँव सेना का भार नहीं सह सकती थी , तब प्रभु श्रीराम समुद्र देवता का आवाहन किया , जब उनकी स्तुति समुद्र देवता ने नहीं सुनी तब प्रभु श्रीराम ने अस्त्र का प्रयोग सुरु किया तब समुद्र देवता प्रकट हुए और श्रीराम से स्तुति की प्रभु आप मेरे प्रकृति से परिचित है मैं अपने प्रकृति से विपरीत कैसे पानी बहाव को रोक सकता हु , इससे पृथ्वी के प्रकृति पर प्रभाव पड़ेगा मैं यहाँ अपना बहाव और तीब्रता को कम कर सकता हूँ , जिससे की आप यहाँ पूल बांध सके आपकी सेना में विश्वकर्मा के पुत्र नल और नील है , जो एक कुशल कारीगर ये यहाँ पूल बांध सकते है , तब प्रभु श्रीराम के आदेश पर ,सेतु बांधने का कार्य सुरु हुआ , ऐसे पत्थरो की खोज की गई जो समुद्र में तैर सके , उनको विशाल पेड़ो पतों और अलग अलग तरह के पत्थरो से पूल को बंधा गया, इस प्रकार रामसेतु पूल का निर्माण हुआ वो भी सिर्फ 5 दिनों में , इस पूल की लम्बाई 30 किलोमीटर और चौड़ाई 3 किलोमीटर थी।

कहा जाता है की जब प्रभु श्रीराम ने रावण का वध करके सीता को आज़ाद करा लिया और भारत लौट गये तब उस तीर मार कर तोड़ दिया ताकि भारत की सुरक्षा बरक़रार रह सक।

आज भी राम सेतु पूल के निशान मिलते है,15 सताब्दी तक रामसेतु का उपयोग होता था।

माना जाता है कि 15 सतब्दी तक रामसेतु पूल एकदम सही था उसपे आवागमन होता था , परंतु 1480 में प्रलयकरी तूफान के चलते रामसेतु टूट गया और समुद्र लेवल भी कभी बढ़ जाने से रामसेतु पूल का काफी हिस्सा समुद्र तल में चला गया था, नासा के एक सैटेलाइट तस्वीर ने इसकी पुष्टि कर दी कि यही रामसेतु पूल है , हालांकि उच्च न्यायालय ने इसकी पुष्टि नही की है वे इसे मानव निर्मित नही मानते और हिन्दू आस्था से इसका कोई लेना देना नही है फिर भी BJP और हिंदुओं के कारण कोर्टको सेतू समुन्द्र नहर योजना को रद्द करना पड़ा , लेकिन साइन्स चैनल ने इस पूल को राम सेतु पूल होने की पुष्टि कर दी है ,ये पूल रामेशवरम के धनुष कोटि और श्रीलका के मनार द्वीप के बीच बनाया गया था , और आज भी इसके निशान यहाँ मिलते है , समुन्द्र देवता ने यहाँ अपना प्रवाह कम दिया था ताकि पूल बनाया जा सके , यहाँ पर अब भी समुन्द्र एकदम शांत रहता है , आज भी ये टुटा पूल 8 अलग टापुओं में मौजूद है। satellite से जब इसकी तस्वीर ली गई तो , तो ये साफ़ हो गया की ये वही रामसेतु है जिसे प्रभु श्रीराम ने बनवाया था ,इसपर बहुत खोज हुयी , वहाँ पानी में तैरने वाले बहुत से पत्थर मिलते है ,जिनका वजन तो पत्थर सामान था ,परन्तु वे पत्थर पानी तैरते नजर आते है।

कांग्रेस ने रामसेतु तोड़ने का प्रस्ताव रखा।

2005 में कांग्रेस सरकार ने एक प्रोजेक्ट बनाया जिसका नाम था सेतू समुद्र नहर परियोजना जिसकी लागत ढाई हजार करोड़ थी बाद में इसको बढ़ाकर 4 हजार करोड़ कर दिया गया था ,परंतु हिंदुओ के विरोध के चलते मामला कोर्ट तक चला गया ,2005 में जब कांग्रेस के सरकार थी तब एक याचिका कोर्ट में दी गई जिसमे प्रभु श्रीराम को काल्पनिक बताया गया और राम सेतू को तोड़ने का प्रस्ताव रखा गया , क्योंकि वहाँ राम सेतु के चलते बड़े बड़े पानी के जहाजों का आवागमन नहीं पा रहा था , इसलिए उसे तोड़कर जहाज़ों के लिए रास्ता बनाया जाये , परन्तु उसे धार्मिक आस्था के चलते रोक दिया गया कुछ बैज्ञानिको का कहना था कि अगर रामसेतु टुटा तो समुद्र में तूफान आ जायेगा जिससे वहाँ के आसपास की ज़मीन डूब जाएगी ,शायद सुनामी भी आ सकता है।

रामसेतु के निर्माण का बैज्ञानिक तर्क एवं Floating stone का रहस्य।

रामसेतु में प्रयोग हुए तैरते पत्थरो के रहस्य पर आज भी खोज हो रही है , बैज्ञानिको का का मानना है कि रामसेतु पुल को बनाने के लिए जिन पत्थरों का प्रयोग हुआ था वे कुछ खास प्रकार के पत्थर थे, जिन्हें ‘प्यूमाइस स्टोन’ कहा जाता है। उनके अंदाज़ से यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से उत्पन्न होते हैं, जब लावा की गर्मी वातावरण की कम गर्म हवा या फिर पानी से मिलती है तो वे खुद को कुछ कणों में बदल देती है। कई बार यह कण एक बड़े पत्थर को निर्मित करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब ज्वालामुखी का गर्म लावा वातावरण की ठंडी हवा से मिलता है तो हवा का संतुलन बिगड़ जाता है, और इस तरह के पत्थर उत्पन्न होते है।

परन्तु इस तरह के पत्थर रामेशवरम में ही क्यों मिलते है ये घटना तो सब जगह होती होगी फिर वही क्यों मिलते है ये पत्थर , ये एक बड़ा रहस्य है।

लावा से उत्पन्न ये पत्थर छिद्रदार होते है , इनके छेदों के चलते इसमें हवा भरी रहती है और जब ये पत्थर पानी में डाले जाते है ,तो पहले ये डूब जाते है फिर ये ऊपर आ जाते है और तैरने लगते है , और जब इन पत्थरो में के छिद्रो में धीरे धीरे पानी भर जाता है तो ये पुनः डूब जाते है ,शायद यही कारन रहा होगा , राम सेतु के पानी में डूबने का , नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस, नासा जो कि विश्व की सबसे विख्यात वैज्ञानिक संस्था में से एक है उसके द्वारा सैटलाइट की मदद से रामसेतु पुल को खोज निकाला गया।

सैटेलाइट से रामसेतु ब्रिज को खोज निकला गया।

नासा ने रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीर को लिया था , सॅटॅलाइट के इन तस्वीरों के देखकर ऐसा लगता है की ये हो न हो राम सेतु ही है , सेटेलाइट के अनुसार ये रामेशवरम के धनुष कोटि से सुरु होकर श्रीलका के मनार द्वीप तक जाता है , दोनों छोरो पर ये दिखाई तो देता है , परन्तु बीच से टुटा हुआ नजर आता है , उसके बीच में ये टापू की तरह नजर आता है इसमें 8 बड़े बड़े टापू है तो कई छोटे छोटे टापू के की तरह नजर आते है , ज़ी न्यूज़ ने इसकी विशेष खोज की है जिसमे ये साफ़ दिखाई देता है , रामेशवरम में समुद्र के किनारे ये पत्थर कभी कभी मिलते है ,वहाँ के स्थानीय लोगो का मानना है की कभी कभी ये पत्थर तैरते हुए किनारे आ जाते है जो की रामसेतु के टूटे पत्थर है ,शायद ये बीच से भगवान श्रीराम ने तोडा हो।

लेकिन बैज्ञानिक जो ये मानते थे की रामसेतु के पत्थर जवालामुखी के पत्थर है , उन्होंने अपने ही थ्योरी को गलत साबित कर दिया , क्योंकि रामेशवरम में हजार वर्षो से दूर दूर तक कोई भी ज्वालामुखी होने का सबूत नहीं मिला है , कार्बन डेटिंग से ये भी पता चला है वहाँ राम सेतू में इस्तेमाल हुये पत्थर 7 हजार साल से भी पुराने है । ऐसे में राम सेतू पर सवाल उठना बेबुनियाद है ।

अक्षय कुमार की फ़िल्म रामसेतु Myth Or Reality ?

Bollywood के प्रख्यात अभिनेता अक्षय कुमार ने राम सेतु के शोध पर बनी एक फ़िल्म ला रहे है, जिसमे रामसेतु पर अबतक हुये खोज को नाटकीय अंदाज में दिखाया जायेगा , अब देखते है कि इस फिल्म का निष्कर्ष क्या निकलता है क्योंकि ये फ़िल्म रामसेतु Myth or Reality ? पर बन रही है , अब देखना है कि इसका अंत myth या reality पर होता है , हालाँकि फ़िल्म में myth शब्द को लेकर अभी से चर्चाये सुरू हो गई है ।

निस्कर्स :- मेरा तो मानना है की जो भी हुआ हो या जैसे भी हुआ हो राम सेतु ब्रिज तो है , अगर है तो बना भी होगा , ये उस वक्त के एक कारीगरी अलग ही अजूबा होगा , अब आपका इसपर क्या बिचार है आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।

Recent Posts

Rani Kamalapati- भोपाल की महारानी जिसके नाम पर भोपाल के एक रेलवे स्टेशन का नाम हबीबगंज से रानी कमलापति रखा गया।

भोपाल मध्यप्रदेश के के एक रेलवे स्टेशन का नाम हाल ही बदलकर हबीबगंज से रानी…

1 year ago

Why did the mathematician Ramanujan not have any close friends/ आख़िर क्यों महान गणितज्ञ रमानुजम् के कोई करीबी दोस्त नहीं था।

वैसे तो महान गणितज्ञ रमानुजम् को कौन नहीं जनता जिन्हिने infinite ∞ यानी अनंत की खोज…

1 year ago

Rishi Kanad was the father of atomic theory and propounded the theory of gravitation and motion before Newton in Hindi.

महर्षि कनाद परमाणु सिद्धांत के जनक माने जाते हैं। महर्षि कणाद को परमाणु सिद्धांत का…

1 year ago

Lohagarh Fort History in hindi /लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र अजेय दुर्ग।

लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र  अजेय दुर्ग, मिट्टी का यह किला तोपों पर पड़ा…

1 year ago

Uda Devi Pasi वो वीरांगना जिसने 36 अंग्रेजों को अकेले मारा/16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस।

16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस।  वो वीरांगना जिसने अकेले ही 36 अंग्रेजों को…

1 year ago

Biography Of South Film Actor Puneet Rajkumar in Hindi/पुनीत राजकुमा जीवन परिचय।

29 October 2021 को साउथ फिल्म जगत के महान एक्टर पुनीत राजकुमार (Appu) के देहांत…

2 years ago