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Story of Sher Singh Rana,दस्यु सुंदरी फूलन देवी का हत्यारा नायक या खलनायक

The journey of Sher singh Rana 

ये कहानी है शेर सिंह राणा की है, जिसने दस्यु सुंदरी फूलन देवी की हत्या करके बेहमई हत्या कांड के 22 राजपूत भाइयों की हत्या का बदला लिया फिर पुलिस को आत्मसमर्पण किया और  फ़िल्मी स्टाइल में जेल से फरार होकर सीधा अफगानिस्तान जा के पृथ्वीराज चौहान की अस्थिया लाया और उनकी समाधि बनवाई। 

परिचय

शेर सिंह उर्फ़ पंकज सिंह का जन्म 16 मई 1976 में रुड़की उत्तराखंड में हुआ था , तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था ,जब शेर सिंह राणा 4-5 साल के थे ,तब वहाँ चम्बल में डाकू फूलन देवी के नाम से दहशत फैली हुयी थी , शेर सिंह राणा फूलन देवी के क्रूरता और दहशत को सुनते आ रहे थे, 1980 के दशक में कुख्यात डकैत फूलन देवी का चम्बल में दहसत का डंका बजता था , फूलन देवी दहशत का दूसरा नाम था, फूलन देवी को Bandit Queen यानि दस्यु सुंदरी के नाम से भी जाना जाता था , फूलन देवी पर Bandit Queen नामक फिल्म भी बन चुकी है , जिसमे फूलन देवी को नायिका के रूप में प्रदर्शित करने की भरपूर कोशिश की गई है ,फूलन देवी ने 22 फ़रवरी 1981में कानपूर देहात से 50  किलोमीटर दूर बेहमई गांव के  22 राजपूतो को लाइन में खड़ा करके गोली मार दिया था , इस घटना को  बेहमई हत्या कांड के नाम से जाना जाता है, जिसे फूलन देवी ने सबके सामने अंजाम दिया था , इस हत्या कांड के बाद फूलन देवी के गैंग का सफाया हो गया तब उसने पुलिस के समक्ष अपना समर्पण कर दिया। 

फूलन देवी का राजनितिक सफर।

बेहमई हत्या कांड के बाद फूलन देवी ने 11 साल जेल में कटा , फूलन देवी अपनी जात की मसीहा बन गई थी , कहा जाता है की इसी जात के वोट बैंक के लिए तत्कालीन प्रधानमत्री इंदिरा गाँधी के इसारे पे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुखयमंती अर्जुन सिंह ने फूलन देवी को सरेंडर करवाया था। 

फिर उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव जो की स्वर्ण विरोधी राजनीती करते थे उन्होंने फूलन देवी पर चल रहे सभी केस को रद्द कराकर अपनी पार्टी समाजवादी पार्टी में सम्मिलित करके सांसद बनवा दिया ,चम्बल के बीहड़ो में घूमने वाली अब दिल्ली के अशोका नगर के शानदार बंगले में रहने लगी , इस राजनीती के खेल में मुलायम सिंह ने राजपूतो के दुखती रग को फिर से चोटिल कर दिया। 

End Of Bandit Queen  दस्यु सुंदरी का अंत ।

दिन था 24 जुलाई 2001 जब शेर सिंह राणा फूलन देवी के घर फूलन देवी से मिलने आया और फिर घर के द्वार पर ही फूलन देवी को गोली मार कर हत्या कर दी, इस घटना और शेर सिंह राणा पर भी एक फिल्म बानी थी जिसका नाम END OF BANDIT QUEEN ,जिसमे शेर सिंह राणा का किरदार बहुमुखी प्रतिभा के धनी नायक नवाजुद्दीन सिद्द्की ने निभाया था। 

फूलन देवी के हत्या के 2 दिन बाद ही शेर सिंह राणा ने देहरादून में आत्मसमर्पण कर दिया और कहा की उसने बेहमई हत्याकांड में मारे गए 22 राजपूत भाइयों का बदला लिया है। 

शेर सिंह राणा फ़िल्मी स्टाइल में जेल से फरार।

2001 में फूलन देवी की हत्या और अपने राजपूत भाइयों के बदले के बयान ने शेर सिंह राणा को रातो रात सुर्खियों में ला दिया हर ,न्यूज़ चैनल पर सिर्फ शेर सिंह राणा का नाम था, शेर सिंह राणा पर फूलन देवी के हत्या का केस सुरु हुआ और तब तक शेर सिंह राणा तिहाड़ जेल में कैद था , परन्तु ढाई साल जेल में बिताने के बाद शेर सिंह राणा ने बयान दिया की तिहाड़ जेल की सलाखे उसे ज्यादे दिन कैद नहीं रख सकेंगी। और हुआ भी ऐसा ही 16 फ़रवरी 2004 को शेर सिंह राणा जेल से फ़िल्मी स्टाइल में फरार हो गया, तिहाड़ जैसे अति सुरक्षित जेल से फरार होना अपने आप में एक बड़ी बात थी। 

शेर सिंह राणा के फरा होने की कहानी कुछ इस तरह है , 16 फ़रवरी 2004 को 3 अज्ञात उत्तरखंड के पुलिस वाले तिहाड़ आये उनके हाथो में हथकड़ी और गन भी थे , उन्होंने जेल अधिकारियो को शेर सिंह राणा का कोर्ट का हलफनाम दिखाकर कहा की हरिद्वार की एक अदालत में एक केस के सिलसिले में शेर सिंह राणा को पेश करना है , फिर वे 3नो टेकिंग ओवर पेपर पर साइन करके शेर सिंह राणा को लेकर ऑटो से फरार हो गए। शेर सिंह राणा के फरार होने खबर ने तिहाड़ जेल में खलबली मच गई , शेर सिंह एकबार फिर से सुर्खियों में आ गया। 

शेर सिंह राणा फिर से कोलकाता से गिरफ्तार ।

तिहाड़ जेल से फरार होने के 2 साल बाद शेर सिंह राणा 16 मई 2006 को फिर से कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया जाता है , जांच एजेंसियों को एक दिन पता लगा की कोई हिंदी अख़बार ले रहा है ,तो वे संदेह बस जाँच करने पहुंचे और उन्हें शेरसिंह राणा मिल जाता है, शेर सिंह राणा को कोलकाता गेस्ट हाउस से गिरफ्तार कर लिया जाता है ,लेकिन ये कहानी उन 2 सालो के बीच की है जब शेर सिंह राणा जेल से फरार था। 

अफगानिस्तान के गजनी शहर में थी पृथ्वीराज चौहान की समाधि, होता था पृथ्वीराज चौहान की समाधि का अपमान।

इस कहानी को आगे बढ़ाने से पहले पृथ्वीराज चौहान की कहानी जानना जरुरी है , जैसा की सभी को मालूम है 11वी सदी के आखिरी हिन्दू सम्राट थे पृथ्वराज चौहान जिन्होंने 16 बार मोहम्मद गौरी को युद्ध में हराया , और 17वे युद्ध में जयचंद्र के गद्दारी के कारण हार गए, तब पृथ्वीराज को मोहम्मद गौरी ने कैद कर लिया और उनको बहुत यातनाय दी जाती रही उनकी आँखों में गरम सलाखे डालकर भोड़ दी गई उनका मजाक बनाया गया , कहा जाता है की पृथ्वीराज चौहान महाभारत के अर्जुन के बाद वो आखिरी योद्धा थे जो शब्दभेदी बाण चला सकते थे , ये कहानी मोहम्मद गौरी भी सुन रखा था तो उसने पृथ्वीराज की आंखे भोड़कर तीर कमान दे दिया और बोला की अब शब्दभेदी बाण चलाकर दिखाओ और घंटा बजाकर इशारा किया गया , तभी पृथ्वीराज चौहान के कवि चंदरबरदाई ने एक दोहा बोल.

 दोहा 

चार बाँस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमान । 
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूके चौहान॥

और इस दोहे से चंदरबरदाई ने पृथ्वीराज को समझा दिया की मोहम्मद गौरी कहाँ और कितनी दुरी पर है और फिर मोहम्मद गौरी के वाह वाह की आवाज को सुनकर पृथ्वीराज चौहान ने बाण चला दी और बाण सीधा मोहम्मद गौरी को लगा और मोहम्मद गौरी वही मारा गया। ये कहानी चदरबरदाई के किताब पृथिवराज रासो से ली गई है। 

पृथ्वीराज के समाधि के अपमान की कहानी मंत्री जसवंत सिंह द्वारा बताई गई ।

कंधार प्लेन हइजैक के मामले में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह तालिबान गए हुए थे, तब वहाँ तालिबान के गजनी शहर में पृत्वीराज चौहान के अस्थिया होने की पुस्टि खुद तालिबान की सरकार के अधिकारियों ने की , पृथ्वीराज की अस्थिया अफगानिस्तान के गजनी में मोहम्मद गौरी के कब्र के पास थी , अफगानिस्तान में ये परम्परा है की जो भी मोहम्मद गौरी के कब्र को देखने जाता है उसे  पृथ्वीराज चौहान के समाधि का अपमान जूतों से करना पड़ता है। 

जसवंत सिंह जब भारत आकर ये बयान दिया तो पुरे देश में उनकी अस्थियों को वापस लाने की मांग होने लगी टीवी चन्नेल पर भी इस न्यूज़ को खूब दिखाया गया इस पर राजनीती भी हुयी परन्तु पृथ्वीराज की अस्थिया लाने की पहल किसी सरकार या विपक्ष ने नहीं की , यहाँ से सुरु होती है शेर सिंह राणा की असली नायक बनने की कहानी। 

शेर सिंह राणा के असली नायक बनने की कहानी।

जब शेर सिंह राणा को पता चला की पृथ्वीराज चौहान की अस्थिया गजनी में है और उनका वहाँ अपमान हो रहा है तो शेर सिंह राणा ने प्रण लिया की वे पृथ्वीराज चौहान की अस्थियों को सम्मान पूर्वक भारत लाएंगे , इसे प्रण को पूरा करने के लिए शेर सिंह राणा पहले तो तिहाड़ जेल से फरार होता है फिर झारखण्ड रांची जाकर फर्जी पासपोर्ट बनाकर सीधा कोलकाता पहुंच जाता है , वहाँ से उसने बांग्लादेश का वीजा बनाकर बांग्लादेश पहुंच गया जहाँ उसने फर्ज़ी दस्तावेज बनाकर university में दाखला ले लिया इसी दौरान उसने अफगानिस्तान का वीजा बनवाया और पहुंच गया अफगानिस्तान , वहाँ पहुंचकर राणा काबुल और कंधार होते हुए गजनी पहुंच गए , तालिबानियों के उस जमीं पर जहाँ हर कदम पर खतरा था , तालिबानियों के सरजमींन पर शेर सिंह राणा 1 महीने तक पृथ्वीराज चौहान की समाधी खोजते रहे और आखिकार उसे पृथ्वीराज की समाधी मील जाती है , शेरसिंह राणा जब पृथ्वीराज चौहान का अपमान आँखों से देखा तो उसे कैमरे में कैद कर लिया और एक रात सबसे छुपकर शेर सिंह राणा ने वो कर दिखाया जो भारत का कोई नेता कोई सरकार नहीं कर पायी उन्होंने पृथ्वीराज की समाधी रात में खोदी और पृथ्वीराज की अस्थियों को सम्मान के साथ भारत ले आये और इस पूरी घटना को उन्होंने कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया, शेर सिंह राणा इसकी प्लानिंग बहुत पहले से की थी इस घटना को अंजाम देने में शेरसिंह राणा को 3 महीने लगे परन्तु आखिरकार वे सफल रहे , और बाद में शेर सिंह राणा ने अपनी माँ साथ मिलकर गाज़ियाबाद के पिलखुवां में पृथ्वीराज का एक मंदिर बनवाया जहाँ उनकी अस्थिया रखी गयी। 

हालाकि आधिकारिक रूप से ये प्रमाणित न हो सका की सच में पृथ्वीराज की अस्थिया शेरसिंह राणा लेकर आये थे , परन्तु जिसने भी शेर सिंह राणा की ये कहानी सुनी वो गर्व से भर गया। 

उसके बाद उन्हें कोलकाता से गिरफ्तार कर लिया जाता है और फिर से तिहाड़ जेल भेज दिया जाता है , शेर सिंह राणा ने जेल ही एक किताब लिखी जिसका नाम था जेल डायरी तिहाड़ से काबुल कंधार तक ।

हलाकि शेर सिंह राणा अब एक राजपूत पॉलिटिशियन है अब वे फूलन देवी को मारने  वाली बात से इंकार करते आ रहे है , 2018 में शेर सिंह राणा ने प्रतिमा सिंह से दहेजमुक्त विवाह किया था, उनके ससुर मध्यप्रदेश के छतर पुर के विधायक रह चुके है।  

निष्कर्ष :- तो ये थे शेर सिंह राणा की अदम्य साहस की कहानी अब आप इस लेख को पढ़कर विचार करे की शेर सिंह राणा नायक थे या खलनायक हालांकि हम फूलन देवी की हत्या को यहाँ जायज ठहराने की कोशिश नही कर रहे है, अब आपका विचार क्या है ये आप कमेंट बॉक्स में जरूर  दे। 

धन्यवाद। 

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