Categories: General

Deewan Todarmal जिसने आज तक की सबसे महँगी जमीन खरीदी और गुरु गोविंद सिंह के शहजादों का अंतिम संस्कार किया ।

दीवान टोडरमल जिसने  आज तक की सबसे महँगी जमीन खरीदी और गुरु गोविन्द सिंह के शहजादों का अंतिम संस्कार किया। 

औरंजेब का अत्याचार।

ये कहानी सुरु होती है सत्रहवीं सदी से जब औरंजेब मुग़ल शाशक था वो हिन्दुओ का कट्टर विरोधी था , उसने इश्लाम को फ़ैलाने के लिए नजाने कितने अत्याचार किये , लोगो कोल्हू में डालकर काट देता था , आरा से कटवा देता था , उसने हिन्दुओ को पूजा पाठ न करने का कानून भी बनवाया था , अगर आप हिन्दू बने रहना चाहते है तो आपको जजिया कर देना पड़ता था , इश्लाम काबुल करने पर पैसे मिलते थे , उसी का एक हाकिम था वजीर खान जिसे पंजाब की जमीन से हो रही बगावत को रोकने लिये भेजा गया था या यु कहे गुरुगोविंद सिंह को रोकने के लिये भेजा गया था , क्योंकि पंजाब से गुरुगोविंद सिंह ही मुघलो से लोहा ले रहे थे और औरंगजेब गुरुगोविंद सिंह से इस कदर परेशान हो गया था की उसने पूरी ताकत पंजाब में झोंक दी थी । 

गुरुगोविंद सिंह और उनके साहेबजादे को पंजाब छोड़ना पड़ा

बात 1705 की है जब गुरु गोविन्द सिंह को और उनके लोगो को पंजाब छोड़ना पड़ा था, वहाँ से जाने के बाद बिच में ही मुघलो के हमले से वो अपने परिवार से सरसा नदी के किनारे बिछुड़ गए , उनकी माता गुजारी और उनके दो साहेबजादे दोनों बिछुड़ गए।  तब उनका एक चाकर गंगू उन्हें अपने घर ले गया।  परन्तु पैसो के लालच में उसने वजीर खान तक ये खबर पहुंच दी , परन्तु कुछ इतिहासकार गंगू को मुखबिर नहीं मानते उनका कहना है की किसी और ने उनकी मुखब्बीरी की थी। 

वज़ीर खान का अत्याचार।

गुरु गोविन्द सिंह माता गुजारी और उनके सहजादे को वजीर खान ने पकड़ लिया जब उनसे गुरु गोविन्द सिंह की कोई खबर नहीं मिली तो उसने उनको इश्लाम कबूल करने को कहा तब उनके सहजादों से कड़कती आवाज़ में वजीर खान को मना कर दिया , तब वजीर खान गुस्से में उन्हें ठन्डे बुर्ज़ में कैद करवा दिया ताकि वे कड़कती ठण्ड में दम तोड़ दे , वहाँ हिन्दू कैदियों को खाना खिलने के लिए एक नौकर था जिसके नामा मोती राम मेहरा था , जब उसे पता चला माता गुजारी और उनके शहजादे को ठन्डे बुर्ज़ में कैद किया गया है तब उसने दूध को गरम करके उन्हें देने को सोचा, परन्तु उसे मालूम था पहरेदार उसे गरम दूध नहीं ले जाने देंगे तब, उसने अपनी माता और पत्नी के गहने उन दरबानो को दिए ताकि वो गरम दूध और कुछ कपडे कैदी को दे सके , ऐसा ३ दिनों तक चला फिर जब मुग़ल हाकिम को ये बात पता चली तो उसने मोती राम और उसकीं पत्नी समेत और उनके माँ और बच्चों को आरा से जिन्दा कटवा दिया। 

गुरु गोविन्द सिंह के शाहबजादो को जिन्दा दीवाल में चुनवा दिया गया।

मुग़ल हाकिम वजीर खान फिर माता गुजारी और दोनों सहेजादो को बुलवाया और अंतिम बार पूछा गया की इश्लाम कबूल करेंगे या नहीं उनका अब भी उनका जवाब न था , तिलमिलाया वजीर खान दोनों शाहबजादो को दीवार में जिन्दा चुनवा दिया।  बड़े शाहबज़ादे जोरावर सिंह की उम्र महज 7 वर्ष और छोटे साहेबजादे फते सिंह महज 5 वर्ष थी।, उनकी माता को भी जिन्दा कटवा दिया गया। 

दीवान टोडरमल की कहानी।

गुरु गोविन्द सिंह से शहजादों की मौत के बाद भी उस बेरहम वजीर खान को दया न आयी उसने उनकी लाशो को ऐसे ही फेंक दिया , और बोला की कोई भी इसे न छुवे ,नहीं तो उसका हश्र भी ऐसा ही होगा , गुरु गोविन्द सिंह पंजाब छोड़ महाराट्र पहुंच गए थे शायद उन्हें खबर भी न थी उनके शाहबजादो के साथ क्या हुआ है , दीवान टोडरमल बहुत बड़े शाहूकार थे , मुग़ल उनसे बहुत कर वसूलते थे, इसलिए वे उन्हें कुछ नहीं करते थे , जब दीवान टोडरमल को उनके मित्र के माध्यम से ये पता चला की गुरु गोविन्द सिंह के शाहबजादो को इश्लाम न कबूलने की सूरत में मारकर फेंक दिया गया है और उनका संस्कार भी वजीर खान करने नही दे रहा है, तब वे बिचार बना चुके थे वे उनका संकर करेंगे , वे वजीर खान से मिलने गए और उन्होंने कहा वजीर खान  आपकी दुश्मनी जिन्दा लोगो से थी इन्हे इनका हक़ दे दीजिये मुझे इनका संकर करना है। 

दीवान टोडरमल ने 78000 सोने की सिक्को से मात्रा 4 वर्ग मीटर जमीन खरीदी।

दीवान टोडरमॉल के बहुत आग्रह पर उसने सोने के सिक्को से जमीन नाप कर खरीदने को कही और टोडर मॉल जी तैयार हो गए , और जब सिक्के बिछाए जाने लगे तो वजीर को लालच आ गयी उसने कहा पड़े सिक्के नहीं खड़े सिक्को से नापो ,तब टोडरमल जी अपने सारे सिक्के बिछा डाले कुल 78000 सोने के सिक्के बिछाये गये और 4 वर्ग मीटर जमीन खरीदी गयी ,उस समय के हिसाब से 78000 सोने के सिक्को की कीमत 2 अरब 50 करोड़ रुपये थे , ये आजतक की सबसे महंगी जमीन की कीमत थी , दिनिया में इतने किम्मत की इतनी कम जमीन आज तक किसी ने नहीं खरीदी, हमारे इतिहास में दुनिया की सबसे मांगी जमीन खरीदने का रिकॉर्ड टोडरमल जी की नाम से दर्ज़ है, उसी 4 वर्गे मीटर जमीन पर दीवान टोडरमल जी ने गिरुगोविंद सिंह की माता जी और उनके शाहबजादो का अंतिम संकर किया। 

दीवान टोडरमल जी की हवेली जिसे जहाज हवेली भी कहा जाता है

जिस दीवान टोडरमॉल जी अपनी जीवन की सारी पूंजी गुरुगोविंद सिंह के शाहबजादो और उनकी माता के अंतिम संस्कार के लिए लगा दी थी,उनकी हवेली जिसे जहाज हवेली भी कहते है जिन्ह  छिड़  अवस्था में आ गई है , उसके रखरखाव की कोई सुविधा न ही किसी संस्था द्वारा और न ही किसी सरकार  द्वारा  आज तक की गई है। 

    निष्कर्ष :- ये कहानी इतिहास के पन्नो और कुछ लेखों पर आधारित है , अगर इसमें कोई त्रुटि हो तो क्षमा करें और अपना विचार कमेंट बॉक्स में जरूर दे। 

    धन्यवाद। 

    Recent Posts

    Rani Kamalapati- भोपाल की महारानी जिसके नाम पर भोपाल के एक रेलवे स्टेशन का नाम हबीबगंज से रानी कमलापति रखा गया।

    भोपाल मध्यप्रदेश के के एक रेलवे स्टेशन का नाम हाल ही बदलकर हबीबगंज से रानी…

    1 year ago

    Why did the mathematician Ramanujan not have any close friends/ आख़िर क्यों महान गणितज्ञ रमानुजम् के कोई करीबी दोस्त नहीं था।

    वैसे तो महान गणितज्ञ रमानुजम् को कौन नहीं जनता जिन्हिने infinite ∞ यानी अनंत की खोज…

    1 year ago

    Rishi Kanad was the father of atomic theory and propounded the theory of gravitation and motion before Newton in Hindi.

    महर्षि कनाद परमाणु सिद्धांत के जनक माने जाते हैं। महर्षि कणाद को परमाणु सिद्धांत का…

    1 year ago

    Lohagarh Fort History in hindi /लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र अजेय दुर्ग।

    लौहगढ़ का किला-भारत का एक मात्र  अजेय दुर्ग, मिट्टी का यह किला तोपों पर पड़ा…

    1 year ago

    Uda Devi Pasi वो वीरांगना जिसने 36 अंग्रेजों को अकेले मारा/16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस।

    16 नवंबर उदा देवी पासी बलिदान दिवस।  वो वीरांगना जिसने अकेले ही 36 अंग्रेजों को…

    1 year ago

    Biography Of South Film Actor Puneet Rajkumar in Hindi/पुनीत राजकुमा जीवन परिचय।

    29 October 2021 को साउथ फिल्म जगत के महान एक्टर पुनीत राजकुमार (Appu) के देहांत…

    2 years ago