जैसा कि अपने मेरी पिछ्ली लोक कथा Tadka the queen of Buxar में पढा ही होगा ,जिसमें श्रीराम ने ताड़का का वध ताडिका नाला के पास कर दिया था, ये story उसके बाद की कहानी बतायेगी !!
ताड़का वध के बाद प्रभु श्रीराम पर स्त्री वध का पाप लगा और उस पाप मुक्ति के लिए वो वही नजदीक गंगा तट पर गए और स्नान किया फिर वही नजदीक में रेत और मिट्टी से शिवलिंग बनाय पूजा अर्चना की फिर शिवलिंग को जलस्नान करने लगे, तो मिट्टी कच्ची होने के कारण बहने लगी तो श्रीराम ने शिवलिंग के ऊपर हाथ रख दिये फिर जलस्नान कराया , परंतु हाथ हटाने पर प्रभु श्रीराम के हाथों की रेखा शिवलिंग पर अंकित हो गई,तथा उनके पैरों का निशान वही मिट्टी आ गये फिर शिव लिंग को वही स्थपित कर दिया गया, अब बहोत छोटा शिवलिंग ही बचा हैं , उनके पद चिन्ह आज भी देख जा सकते है, जिस घाट पर प्रभु श्रीराम ने पूजा की थी उसघाट का नाम राम रेखा घाट पड़ा ये घाट बक्सर railway station से 2 km की दूरी पर स्थित हैं ।
यहाँ छठ पूजा खिचड़ी स्नान अमावस्या स्नान मनन्त मुंडन बहोत ही मशहुर है यहाँ आप कभी आये तो छठ पूजा जरूर देखें किसी मेले से कम नही होता।
अब आपको रामरेखा घाट की अहमियत एवं जानकारी मिल चुकी होगी ।।
यह कहानी बक्सर की पावन भूमी गाथा को आप सब तक पहुचने की एक कोशिश मात्र है । अगर इस कहनी में कोई त्रुटिया है तो आप comment box में टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र है ।
धन्यावाद ।।
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